काया कल्पद्रुम भाग 2 | Kavya Kalpadrum - 2
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
487
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about कन्हैयालाल पोद्दार - Kanhaiyalal Poddar
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(पए )
लोग कहते हैं भ्रन्धकार हट जाने से सुरेन्द्र की रानी4६ ( प्राची
दिशा) प्रकाशित हो रही है । हमारे विचार में तो यह कुछ
और ही है। प्राची दिशा का इस समय प्रकाशित दिझाई देना तो
एक बहाता मात्र है श्रसल बात यह है कि वरुण की पती ( परिचम
दिशा ) के तिकट जाने पर चन्द्रमा का किरण-समूह रूपी वस्त्र का प्रत्येक
भाग क्रमशः हट कर दृप्त समय सर्वथा दूर हो गया है ¡ धतएव चन्द्रमा
की इस नप्त अचस्था के हास्य-जनक धश्य को देखकर वह (प्राची दिशा)
हँस रही है, क्योंकि अन्य रमझी में आसक्त किसी सन्सान््य पुरुष
की ऐसी हास्योत्पादक दशा देखकर कामिनी जनों को हँसी आ जाना
स्वाभाविक है।
इस उक्ति-वैचित्र्य से प्रातः:काश्लीन क्षीण-कान्ति चस्धमा में नगना-
वस्था की, शोर प्राची दिशा में प्रकाशित हो जाने के গ্যাস से स्मित
दस्य की, साभावना की जाने के कारण सापनन््हव उत्मेक्षा है ।
( १ ) और देखिये-- :
“स्वमुकुलमयनत्रेरन्धैभविष्णु तया जनं
किमु कुमुदिनीं दुव्योचष्ट रपेरनवेक्तिकाम् ।
लिखितपरिता राज्ञो दाराः कचिप्रतिभाु यं
शएतश्रृएतासूयपश्या न सा ` किलत भाविनी ।”
--मैषधीयचरित ९ ६।६१
कुमुुदिनी प्रभात समय में अपने कलिकामयी भेन्नों को बन्द करके
जान बूभक? अन्धी हो जाती है । पर लोग कहते हैं कि कुम्ुदिनी बढ़ी
कु “-०-२०५-++-५ “कल শিশাপশি
के पूर्व दिशा का पति इन्द्र है अतः यहाँ पूर्व दिशा को इन्द्र की
. रानी कहपंना की गई है |
' पश्चित्त दिशा का पति चरुण है, अ6: पश्चिम दिशा को यहाँ
वरुण की रात्ी कपना की गई है।.
User Reviews
No Reviews | Add Yours...