भार्गव आदर्श हिंदी शब्दकोश | Bhargav Adarsh Hindi Shabdkosh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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झग्स्यस्त्र रा सं. पुं. अम्निबाण तोप बन्दूक बमगोला तमंचा इत्यादि जो वारूद से चलाये जाति है । अग्त्यागार- सं. पूं. अग्न्यगार। अग्त्यात्सक- सं. वि. अति कठोर हुृदय- वाला अति कऋूर । ा मग्व्याघान- सं. पु. अग्निह्दोब याग । अग्व्याघय- सं. पुं. अग्विहोत्री । अग्न्यालय- सं. पु. अर्निहोत्र का घर । अग्न्यादाय- सं. पुं. पेट की जठरान्ति का स्थान ॥ अम्त्युत्पात- सं. पुं. आग लगना आकाश से अर्नि की वर्षा उल्कापात घूम्रकेतु । अग्न्युद्धार- सं. पुं. अरणि ह्वारा यज्ञ करने के छिए आग निकालना । अग्यारी- हिं. स्त्री. घूप देने का पात्र घूपदानी ।.... अग्र- सं. पूं. ऊपरी भाग शिखर चोटी नतोक अत का भाग अवलम्बस समूह वि. उत्तम श्रेष्ठ वड़ा प्रधान प्रथम अगला -कर- सं. पुं. दाहिना हाथ -काय- सं. पुं. दारीर का अगला साग -गण्य- सं. वि. जिसकी गणना पहिले की जावे प्रथम अगुआ सेता श्रेष्ठ -न्गामी- सं. दि. आगे जनेंवाला पुरोगामी प्रधान नेता -ज- सं-पुं. बड़ा जेंठा पुत्र या भाई जिसका जन्म पहले हुआ हो नेता विष्णु ब्राह्मण -जंघा- सं. स्त्री. जाँघ का अगला माग -जन्मा- सं. पुं. ज्येष्ठ पुत्र बड़ा माई ब्रह्मा ब्राह्मण -जात- सं. पुं. जिसका जन्म पहले हुआ हो जेठा पुत्र बड़ा भाई ब्राह्मण -जाति- सं. स्त्री. मुख्य जाति ब्राह्मण -जिल्ना- संघस्त्री. जीम का अगला भाग -णी- सं. पुं. अगुवा नेता श्रेष्ठ स्वामी साछिक -तः- सं. अव्य. भागे पहिले _ -दानी- सं. पं. निक्कुष्ठ दान लेनेवाला ब्राह्मण महान्नाह्मण महापात्र -दादनीय- सं. पुं. प्रेत कर्म का दान लेनेवाला महान्नाह्मण -द्ीप- सं. पुं. जो टापू सब से पहिले जरू के बाहर निकल आया हो -घान्प- सं. पुं. वह अन्न जो पहिले उत्पन्न हो बाजरा -नख- से. पुं. नख का अगला भाग -नासिका- सं. स्त्री. नाक का अगला भाग -निरू- पण- सं. पूं. पूर्वेज्ान भविष्यवाणी पर्णी- सं.स्त्री. सतावर औषधि र्दे -फरचात- सं. पूं. आगा-पीछा -पाणि- सं. पुं. हाथ का अगला भाग दाहिना. हाथ -पुष्प- सं. पुं. जो फूल पहिले फूला हो बंत का वृक्ष -पुजा- सं. स्त्री. पहिली पूजा -पेय- सं. पूं. जो पहले पिया जावे -साग- सं.पुं. दिखाग़ चोटी आगे का भाग किनारा छोर -मुकू- सें. पुं. बिना देवता या पितर को अर्पण किये स्वयं भोजन कर लेना वि. भुवखड़ पेट भू सं. पुं. जेठा भाई ब्राह्मण -भूमि- सं. स्त्री. आगे की भूमि -महिषी- सं. स्त्री. अभिषेक की हुई प्रधान रानी -सांस- सं. पं. फुफ्फूस फेफड़ा -सुख- सं. पुं. मुख का अगला सांग -यण- सं. पुं. अगहन महीना -याण -यान- सं. पुं. आगे जानेवाली सेना अग्र- यायी- सं. वि. भागे. जानेवाला अग्रगामी -योधा- सं. पुं. सेना के आगे लड़लेवाला योद्धा -लोहिता- सं. स्त्री. लाल दिखावाला पौधा चिलारी का साग -वर्ती- सं. पुं. भागे रहनेचाला नेता अगुवा -वाल- हिं- पुं. अगरवाला वैद्य बंद की एक शाखा -बीज- सं. पुं. जो वृक्ष डाल लगाने से उत्पन्न हों -वीर- सं. पुं. सेना का प्रधान योद्धा -न्नीहि- सं. स्त्री. क़ृषिफल का अन्न -योची- सं. पुं. आगे से विचार कर लेनेवाला दुरदर्शी -संध्या- सं. स्त्री. सच्ध्या का अग्रभाग तड़का -सर- सं. वि. आगे. चलनेवाला अग्रगामी नेता अयुआ -सारण- सं. पुं. आगे बढ़ता निवेदनपत्र आदि को बड़े अधिकारी के पास भेजना -सारा- सं. स्त्री. बिना फूल का डंठल पौघे की मंजरी -सारित- सं.वि. घड़े अधिकारी के पास प्रेषित -हार- सें. पु. खेत की उपज का वह अन्न जो देवता या ब्राह्मण को अर्पण करने के लिये अलग कर दिया जाय 1 अग्रह- सं. पुं. जिसने विवाह न किया हो संन्यासी । अग्रहायण- सं. पूं. हाथ का अगला भाग हाथी की सूँड का अग्रमाग अगहन सड्ीना अप्रॉदा- सं. पुं. अम्रभाग अप्राशु- सं. पुं. प्रकाश की किरण का अधायु अन्त केंद्रीय बिंदु । अग्राक्षि- सं. पुं. आँख का अगला भाग अग्राणीक- सं. पुं. आगे जानेवाली सेना 1 अग्राम्य- सं. पुं. जंगली । अग्रादवन- सं. पुं. देवता को अपण करने के लिए भोजन करने से पहिले रक्खा हुआ रींघा हुआ अन्न ॥ अग्रासन- सं पं. जो आसन ब्राह्मण को पहिले बैठनें के लिए दिया जाय । अग्राह्म- सं. वि. न ग्रहण करने योग्य । अप्रिस- सं. पुं. आगे का श्रेष्ठ प्रधान । अप्रिमा- सं. स्त्री. शरीफा 1 अद्िय अग्रीय- सं. पुं. बड़ा . भाई पहिला फल । हो अघ- सं. पं. अघर्म पाप दुःख दुर्घ- टना अपराध व्यसन निंदा कंस का सेनापति जो एक असुर था । वि. पाप करनेवाला | अघखानि- हिं. स्त्री. पाप का मंडार अघट- हिं. वि. . अयोग्य भनुपयुक्त जो ठीक न हो वे-ठीक + अघटन- सं. पुं. न घटने की अवस्था । अधघटित- हिं. वि. न होनेवाला असंभव । अघन- सं. वि जो गाढ़ा न हो । अघनाशक- सं. वि. पाप को टुर करने- वाला पापनाशक । अघन्य- सं. पुं. वध न करने योग्य गाय वृषभ बादल ब्रह्मा प्रजापति । अघभोजी- सं. पुं. अयोग्य या अग्राह्य भोजन करनेवाला । अघमय- सं. वि. पापपूर्ण । अघम्षण- सं. पुं. पाप नाश करने- वाला मंत्र वि. पापनाशक । अघमसं- सं. पुं. शीतकाल जिसमें शरीर में पसीना न हो। अघवाना- हिं. क्रि. स. भोजन से संतुष्ट करना पेटसर खिलाना । अधघविष- सं. पुं. सर पे साँप । अघहरण- सं. पुं. पाप की निचृत्ति | अधघहार- सं. पुं. पवित्र पुरुष । अघाई- हि. स्त्री. चृप्ति संतोष पेट- मर खाने की अवस्था | | अघाद- हिं. पूं. जहाँ पर घाट न हो । मघाती- हिं. वि. जो घाती या घातक न हो अघातक 1 अघाना- हिं-कि.अ. प्रसन्न होना इच्छा पुर्ण होना छकना मन भर जाना पेट भरना भोजन से तुप्त होना उग्रत्तचा अघाय- सं. पुं. वि. पाप करनेवाल्य पापी इृत्यारा । नल




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