संक्षिप जैन इतिहास भाग 2 खंड 2 | Sankshipta Jain Itihas Bhag-ii Khand-ii

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Sankshipta Jain Itihas Bhag-ii Khand-ii by मूलचंद किसनदास कपाडिया -Moolchand Kisandas Kapadiya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(१८) निकाय' (7, 1', ७. )1 चरि०-परिशिष्ट पर्-श्री हेमचन्द्राचाय । प्राजलेस ०-प्रादीन जैन लेख मप्रह कामताप्रसाद जैन ( वर्धा )1 बविओं जस्मा०-जमाढ, बिहार, ओोड़ीसा जैन स्मारक-श्री अह्म- नारी शीतटप्रसादजी । दंजस्मा०:-्त्रम्पई प्रातके प्राचीन जन स्मास्क ब्र ० शीतटप्रसादजी। युड^ दिष्ट इन्डिया-ग्रा ° ही उविइस 1 मापा०्~मगवान्‌ प्राश्नाथ-ठे° कामताप्रसाद जेन ( सूरत )} भपरनभगवान महावीर- 9: ` ॐ पड ` भमबु०-भगयान महावीर और मब्बुद्ध कामताप्रसाद जन (सुरत)। मपी ० मद्राग्कं मीमासा ( गुजराती ) सूरत | माई०-भारतवर्धका इतिहास-डै० ईश्वरीप्रसाद डी० लिह्‌ प्रयाम १९२७) । मामगो०=अनौक-ठा° भण्डारक ( कन्कत्ता ) । माप्रारा०=मासतके पराचीन सज श्र. विश्धपनाथ रेड (वत्रा भाधासइ०-भारतश्ी प्राचीन सम्यताका इतिहास, सर रमेशचंद्र दत्त] मन६०-मराठी जैन इतिहास | भनि 95 मन्क्षमि०= ममप्रजेस्मा ०-मद्रास मैसुरके प्रा० जेन स्मारक ब ० शीतरप्रसादजी | मद्दा ०-महाबग्ग (5, 8. ए प्रण. ए }. पिचिन्द्र०~मिटिन्द पन्द (8. 5 ০, সু.) मुराण्ज्मुद्रा राक्षस नाटक-इन दी ट्विन्दू डामेटिस दर्कस, विडसन।| खूछा०-मुठाचार वह्केर स्वामी (हिन्दी भाषा सह्दित बम्पई)] मन्झिमनिकाय २. 7, 5.




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