निरपराधी | Neerpradhi

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Neerpradhi by अनन्त प्रसाद विद्यार्थी - ANANT PRASAD VIDYARTHI

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about अनन्त प्रसाद विद्यार्थी - Anant Prasad Vidyarthi

Add Infomation AboutAnant Prasad Vidyarthi

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
निरफ्रावी २९ बहुत अच्छा, कहकर दारोगा साहव कमरे मे बाहर चाय के लिए कहने को चरे गये। तुरन्त ही दारोगा साहब दापस गये मौर वैर गये । मन्दार साहव उसी प्रकार विचार-निमग्न रहे । थोडी देर पदचात्‌ एक सपाही चाय को ट्रे लिये हुए हाणिर हुआ । दोनो व्यक्तियों ने चाय 11 चाय नमाप्त करके सरदार साहव ने वह्ला--अच्छा दारोगा রাত, লন हमें रायसाहब की कोठी पर चलना चाहिए । दारोगा साहब फौरन तैयार हो गये । पुलिस की मोदर वृलाई आई भौर दोनो व्यवित कोठी पहुंचे । ड्यूटी पर खडे हुए कास्टेवुल ই লাবন্তুব্ধ अफसरो को सेल्यूट दिया । दोनो जफसर तुरन्त ही उस कमरे मं च्े गये जिसमें रायसाहव की हत्या हुई थी। कमरे के दरवाजे पर सिपाही खडा था और कमरा खुला था। सरदार साहव में दरोगा साहब के साथ ज्योही कमरे में प्रवेश किया, उन्हें दो व्यक्ति कमरे के अन्दर खडे मिले। पुछने पर सरदार साहव को मालूम हैजा कि उसमें एक तो रायसाहव के भाई छोटे सरकार है और दुसरा उनका मोटरदड्राइवर हैं । छोटे सरकार ड्राइवर से एक छोटी मेज़ हटाने के लिए कह रहे थे। दारोगा जी ने सरदार साहव से कहा--छोठे सरकार ने सुबह मुझसे इस कमरे से पुलिस की निगरानी हटा लेने को कहा था। में मी समझता हूँ कि अब सब जाँच तो हो गई, इसलिए इसमें कोई हज नहीं । इस छोटो मेज की आपको बहुत सावदयक्ता थी, इसलिए मेने बापको इसे टालने की आजा देदीथी। ^




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now