प्राचीन जैन स्मारक | Prachin Jain Smarak
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
245
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(१३)
नाम विदर्भ देश पड़ा, इसका समर्थन “भागकतपुराण ' से
भी होता है। भागवतपुराणके पांचवे स्कन्धमें ऋषभदेव महारा-
जका वणेन है । वहां कहा गया है कि ऋषमदेवने अपने कुल.
राज्यके नव हिस्सेकर उन्हें अपने नव पुत्रोंमें वितरण कर दिये।
कुश नामके पुत्रको जो माग मिला वह कुश्चावते कहल/या। बह्मको
जो देश मिला उसका नाम ब्रह्मावते पड़ा, इसी प्रकार विद नामक
कुमारकों जो प्रदेश मिला वह विद देश कहलाया | मेन पुरा-
णोमें ऐप्ता कथन नहीं है । आनकल इसप्त देशको वहाड कहते हैं
जो विदर्भक। ही अपभ्रश है, पर वहाडकी व्युत्पत्तिके विषय्मे
भी अनेक दनन््तकथायें, अनुमान और तर्क लगाये जाते हैं | कोई
कहता है वरयात्रा ब बरहाट! व बरात' से बहाड बना है। इसका
सम्बंध कृष्ण और रुक््मणीके विवाहकी वरातसे बतलाया जाता
है । कोई वर्धाहार व वर्धातट-अर्थात् वर्धाके पासका-देशसे वहा-
डरूप सिद्ध करता है । कोई विराट ब वैराट राजासे वहमाडका
सम्बन्ध स्थापितं करता है इत्यादि, पर ये सब मिरी कल्पनं ही
प्रतीत होती हैं ।
विद्म देशका उल्लेख रामार्यण और महाभारतमें अनेक जगह
पाया जाता है | अगस्त्य ऋषिकी पत्नी लोभामुद्रा, इक्ष्वाकुवंशके
राजा पगरकी रानी केशिनी, अजकी रानी इन्दुमती, नरराजाकी
रानी दमयन्ती, छष्णकी रानी रुविमणी, प्रदुञ्नकी रानी द्युभांगी,.
अनिरुढकी रानी शुकमावती ये सब विद्म देशकी ही राजकुमा-
रयिं थी । रुक्मिणी भीष्मक राजाकी कन्या व स्वमीकी बहिन
थीं। मीप्मककी राजधानी कौण्डिन्यपुर थी जिसका आधुनिक नाम
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