पत्रदीपिका | Patradipika

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Patradipika by पं. कालीचरण - Pt. Kalicharan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१९ पबदीचिका कि वीबो का साथ लेकर विवाहसे ट्स पचि दिन पहले आओ । क्योंकि त॒स्हारे बिना कोई संडपआदि कमा नहीं होगा से! तम १५ दिल पहले आओपः और २० /रु० की रही भेजते हैं इसमें तुम आदे समय १५४ / तथा २०० रु० का काई शाली रूमाल भाटों के देने के लिये लेते आना और जल आना इस चोड लिखे के बड़तसा समझना ॥ मि० मार्ग शिर शदी २ सब्बत्‌ १९१८ (अन्पक्ष]-ऊमाई की कोस्स ससुर को ` : ঘিত্বি थी खस॒ुरु जी श्री ६का---कीं दण्ड्वत्‌ पहुंचे यहाँ कुशल हे वहां कुशल चाड़िये आगे आप हमारे धस्ा के पिता हो! इसलिये ठुमसे कथनोय वा अकथनोंय कुछ छिपाना न चाहिये बात यह है कि हम सदेव परदेश में रहा चाहते है ओर इतनो तनखाह नहो ज नोकरों से कामलें चछर अररका भो खर्च चलाने और आपका धब्म यह था कि विवाह और टद्विरागसम का करना और सिवाय इसके आपने इतते दिन ओर सहायता को परंतु ऋब नारायणने चार पेसें के हीससे खगा रिया है इसलिये उचित जही है कि कुछ दिवर एक साथ डक




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