कलकत्ता गाइड | Kalkata Guide
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
146
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)११ कललन्तेका संिप्त इतिहास ।
क्तकः `
शोरे छोग इसीफै चारों ओर आ धसे । शीघही चोरङ्खी एक
झुन्द्र ओर घनी बस्ती हो उठी । खुन्दर २ भान उठने लगे।
सन् १७८६ ` 7971; 3979 ( चतेमान डलदोली स्कायर )
के आस पास बो खुन्दर बस्ती थी । इसके चतुद्क बने हुए
._छुरस्य भवनोंके कारण कछकचा फेवल एशियाका ही नहीं হত
समस्त खंखारके प्रसिद्ध नगरोंमेंसे हो रहा था ।
:» इस खमयसे कलकत्ता बड़ी शीघ्रताफके साथ सम्दद्धि पथपर
अग्नसर होने छगा। इमारतें बनने छगीं । सेन्ट जानका गिरजा
सत् १७८३ भौर. १७८७ के बीच बना, गचर्तमेण्ट हाऊख १७६७
ओर १८०३ में बना टाऊन हाल ओर टकसाल घर १८३० में
नकर तैयार इप् ।
कलकत्तेके प्रथम विशप ( गिरज्ञाके सबसे बड़े पादरी )
'डाकूर मिडिल्टन बनाए गए थे। सेन्ठपाल गिरजेकी बीब
ন্ १८३६ में डाली गई ओर यह ८ अक्तूवर १८४७ को
तैयार इभा । खन् १८०३ में उस समयके गचनेर जेनरल ভাই
वेेस्टीने नगर सुधारे लिए एक कमेटी बनाई । परन्तु इसमे
कुर अधिक काम नहीं किया ¦ खत् १८१४ में जब यह कमेटी
'डूट गई तो इसके फण्डका घन छाँटरी कमिश्नरोंकी देखरेखमें
आया। इन्हें छाँटरी द्वारा धन एकत्रित कर नगरके खुधारमें व्यय
फरनेका पूरा २ अधिकार था। इस धनसे सबसे पहले सेन्ट
-जानका गिरजा बना । सड़के'; टाऊनहाल, बाग बगीचे, तालाब
'अदि भोर सी भनेके ब्वीजे' इसी धनसे दनीं ।
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