कलकत्ता गाइड | Kalkata Guide

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Kalkata Guide by रामकृष्ण शुक्ल - Ramkrishna Shukla

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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११ कललन्तेका संिप्त इतिहास । क्तकः ` शोरे छोग इसीफै चारों ओर आ धसे । शीघही चोरङ्खी एक झुन्द्र ओर घनी बस्ती हो उठी । खुन्दर २ भान उठने लगे। सन्‌ १७८६ ` 7971; 3979 ( चतेमान डलदोली स्कायर ) के आस पास बो खुन्दर बस्ती थी । इसके चतुद्क बने हुए ._छुरस्य भवनोंके कारण कछकचा फेवल एशियाका ही नहीं হত समस्त खंखारके प्रसिद्ध नगरोंमेंसे हो रहा था । :» इस खमयसे कलकत्ता बड़ी शीघ्रताफके साथ सम्दद्धि पथपर अग्नसर होने छगा। इमारतें बनने छगीं । सेन्ट जानका गिरजा सत्‌ १७८३ भौर. १७८७ के बीच बना, गचर्तमेण्ट हाऊख १७६७ ओर १८०३ में बना टाऊन हाल ओर टकसाल घर १८३० में नकर तैयार इप्‌ । कलकत्तेके प्रथम विशप ( गिरज्ञाके सबसे बड़े पादरी ) 'डाकूर मिडिल्टन बनाए गए थे। सेन्ठपाल गिरजेकी बीब ন্‌ १८३६ में डाली गई ओर यह ८ अक्तूवर १८४७ को तैयार इभा । खन्‌ १८०३ में उस समयके गचनेर जेनरल ভাই वेेस्टीने नगर सुधारे लिए एक कमेटी बनाई । परन्तु इसमे कुर अधिक काम नहीं किया ¦ खत्‌ १८१४ में जब यह कमेटी 'डूट गई तो इसके फण्डका घन छाँटरी कमिश्नरोंकी देखरेखमें आया। इन्हें छाँटरी द्वारा धन एकत्रित कर नगरके खुधारमें व्यय फरनेका पूरा २ अधिकार था। इस धनसे सबसे पहले सेन्ट -जानका गिरजा बना । सड़के'; टाऊनहाल, बाग बगीचे, तालाब 'अदि भोर सी भनेके ब्वीजे' इसी धनसे दनीं ।




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