श्रीशीलमहिमा नाटक | Shri Sheel Mahima Natak

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Shri Sheel Mahima Natak by सुखानन्द मनोरमा - Sukhanand Manorama

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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झील महिमा नाटक ३३ मं्री- राजन्‌ महिपाल सेठके पुत्र सुखानन्द कुमार नहीं आये वे भद्यन्त चतुर जोर घुद्धिमान हैं । वे अवद्य न्याय करेंगे । राजा--क्यों नहीं माये ? मंत्री-महद्दाराज चे छुछीन पुरुप हैं बिना चुछाये नहीं मावेंगे । राजा--कोई उनको घुलाने गया है ? मत्ी--हां महाराज सेनापति गए हैं मच आते दी होंगे । सेनापतिका आना मंत्री-क्यों सेनापति सुखानन्द छुमार नहीं आए ? सेना०--महाराज वे आते ही थे इतनेमें में पहुंच गया अब वे आते ही होंगे । खुखानन्दका आना रांजाको प्रणासकरवैठ जाना मंत्री- सुखानन्दसे सुखानन्द फुमार तुमे माज यहां घुलाये जानेफा फारण चिदित एुआ सुसा०--दां मदाराज हुआ । और यदि हो सकेगा सो में मदद भी फरूगा परन्तु पाले पद सठा हार मुझे दिखाना पपाटिये सनी विप्रसे टार ठेसर उलानन्दफुभारको देते हैं ससा-- पनपाछ सेठसे धनपाठ सेठ यद्‌ ए1र सापफा 7 पनन्न नहीं । ससान-- चिप्रसे पयो मददाराल याद हार भाएपा ६ पिप-न्ीं हो हमारा हार सो सदा है लोर पद पनपाद सेठफे पास ऐ । यह ऐर तो एटा ऐ ।




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