द्विवेदीयुग के साहित्यकारों के कुछ पत्र | Dvivediyug Ke Sahitykaron Ke Kuchh Patra

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Dvivediyug Ke Sahitykaron Ke Kuchh Patra  by बैजनाथ सिंह 'विनोद' - Baijanath Singh 'Vinod'

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श्री पं० जनादन चा 'जनसीदन' जी के नाम ( १) दम ः ६-१-०३ महाशय आपका क्रपापत्र आया । जीवनचरित भी मिला। उसके छापने का हम यथा- समय विचार करेंगे। इसे आप किसके नाम से प्रकाशित कराना चाहते हैं। इसमें कु टैरफर की जरूरत होगी। आपने हमारे विषय में जो कुछ लिखा उसके लिए हम आपको धन्यवाद देते हैं । बहुत अच्छा, आप अपनी कविता और अपना लेख भेजिए । क्रपा होगी । भवदीय महावीरप्रसाद द्विवेदी (२) कानपुर ९ ९-९-५१ प्रिय पंडित जी, प्रणाम शिक्षा-शतक की तो समाप्ति हो गई। अब पश्चात्ताप' की बेला हैं। कृपा करके उसे भी शीघ्य ही समाप्त करके भेज दीजिए तो छपना शुरू हो जाय। आया ह, अब श्रीमान्‌ राजा साहब' बखूबी आराम हो गए होंगे और सब काम-काज करने लगे होंगे। भवदीय महावी रप्रसाद द्विवेदी १. श्री जनादन झा जनसीदन' जी ने राजा कमलानन्द सिह साहब की जीवनी लिखकर भेजो थी, जिसे सुधार कर सरस्वत्नी -संपादक को अपने नाम से छापने का अधिकार दिया था। द्विवेदी जी ने उसे जन, १९०३ को 'सरस्वती' मं प्रकाशित किया था। २. राजा कमलाचंद सिंह ।




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