हम बहशी है | Hum Vashi He

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Hum Vashi He by कृशनचंदर - Krishan Chander

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about कृष्ण चंदर - Krishna Chandar

Add Infomation AboutKrishna Chandar

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
झ्आांख के श्रांगि हरी झंडी है, उसका रास्ता साफ है श्र वह धदधढ़ाता. हुआ निकल जाता है । और प्रखर कल्पनाशक्ति ही बह बिजली है जिससे उसकी कहानी कीं गाढ़ी दौदती है । लेकिन यह वात भी कहनी पढ़ेगी कि द्गर कृशन की कहानियों में जीवन का संस्पश और गहराई से आये तो उसकी कहानी में एक नया ही जौहर पैदा हो जाय । जो कल्पनाशक्ति उसकी सबसे बढ़ी. ताकत है वही सेरी समभ में उसकी कमजोरी भी है । कमजोरी वह इस उर्थ में है कि जीवन के सीधे संस्पर्श का काम वह श्रपनी कल्पना से लेता है | इसीलिए उसकी तमाम झतियों में, यहाँ तक कि उनमें भी जिनमें वह बिलकुल प्रगतिवादी विषयवस्तु को उठाता है, श्रकसर ठोस जिन्दगी का रंग दब जाता है उसकी कल्पना का रंग उमर आता है । इस खामी के वावजूद उसकी कहानियाँ श्रपनी शक्ति से लोगों के दिल व दिमाग पर छा जाती हैं, इसका मतलब यह नहीं हे कि यह खामी उनमें नहीं है या यह कि अगर उसे दूर किया जा सके तो कहानियों की. प्रभावोत्पादकता और बढ़ नहीं जायगी । बल्कि मैं तो यद तक समता हूँ कि श्राज की और एकदम निंकट भविष्य की क्रान्तिकारी परिस्थिति में वास्तविक जिन्दगी से गहरा गाव पैदा करने का सवाल' प्रगतिशील लेखक के लिए सबसे चढ़ा सचाल होगा श्रौर जो लेखक इस सवाल का ठीक जवाब नहीं दे सकेगा उसकी : आगे की राह जरूर रूँघ जायेगी । क्शन के साथ ऐसी कोई वात नहीं है ।. वह एक सजग लेखक है जो लगातार जमाने के साथ कदम मिलाकर चल रहा है । “्राँगी” से “तीन गुंडे” “दूसरी मौत” या “बुत बोलते हैं? त्क . वह एक चहुत लम्बा सफर तय कर झाया है । “ँगी” के रोमानी रंग में जिन्दगी के दूसरे रंग भी अब घुलमिल गये हैं । श्रीर चूँकि लेखक रोमानी डुनिया जनता से अलग कहीं नहीं चनाना चाहता बल्कि वह जनता' के साथ है और उसे जनता के क्रान्तिकारी उठान से दमददी है, इसलिए, यह उम्मीद करना गुलत न होगा कि उसमें वास्तविक जिन्दगी का रंग,




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now