तेलुगु की उत्कृष्ट कहानियाँ | Telugu Ki Utkrisht Kahaniyan

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Telugu Ki Utkrisht Kahaniyan by बालशौरि रेड्डी - Balshori Reddy

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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११ हों अथवा मलयालम, चाहे रोटी खाते हो या चावल--सबकी आशा अवं संस्कृति अंक है ! अिसलिओं कोओ भी लेखक किसी भी भाषामें चाहे जिस किसी भी पद्धतिमे अपनी भावनाओ द्वारा भारतीय हृदयको स्पन्दितकर सके तो हम असका आदर करते हैं, अच्छाओको ग्रहण करते है। जिस संग्रहकी कहानियोंमे तेलगुपनका मिरूपणकर आन्ध्र देशकी खूबियों, आचार- व्यवहारों तथा सम्प्रदायोंका चित्रण हुआ है। लेकिन समस्त भारतके दृष्टि- कोणका विस्मरण करके नही ! समस्त भारतको स्पन्दित कर हिल्ानेवाले आन्दोकनोका प्रभाव अन्ध ओौर तेन्वृग्‌, भाषापर भी पडादह। राष्ट्रीय भावनाओं तथा माक्सेके सिद्धान्तोका भी तेलग-लेखकोंने अपनी कहानियों में विशेष प्रचार किया हैं। विश्वासके साथ अनका प्रतिपादन भी किया हैं ! लेकिन जब लेखकने कहानियोंको केवल अपनी भावनाओ के प्रचारका साधन मात्र बनाता है, तब पाठकोमे जुगृप्स। पैदा होती है। आजके लेखकोंमें यह बात देखी जाती है, अंसी रचनाओको अिस संग्रहमे स्थान नही दिया गया हैं । आज आन्धरमे असंख्य कहानीकार हं । अन सबकी रचनाओंको भिस सग्रहमे स्थान देना सम्भव नही ह । भिस सग्रहमे कओी अच्छे कहानीकारोंकी भी रचनां नही दे पाभ, भिस बातका हमें दुख हे। लेकिन जहॉतक हो सका, विभिन्‍न प्रकारकी सुन्दर रचनाओको नमूनेके तौरपर स संग्रहुमे देनका प्रयत्न किया गया है। अब भी ३०, ४० अत्तम कहानीकारोकी रचनाओं नही आ सकी, जिनकी कहानियोके कारण तेलुगु कहानी साहित्य समृद्ध कहा जा सकता है। आशा है कि अनकी रचनाओंका हिन्दी पाठकोकों परिचय करानका सद्‌वकाश पूनः प्राप्त हौ जाअगा। तब तक अिन कहानियोंके गृण-दोषोको आलोचना न करके अूनके गण ओौर अवगुणोके निर्णयका भार हम कृपाल पाठकोपर छोड़ देते है । प्रस्तुत संग्रहको कहानिर्यों यदि तेलृग्‌ भाषामे अभिव्यक्त विचारोकी समृद्धि, आन्ध्र प्रान्तकी सांस्कृतिक परम्पराकी झाँकी दिखानेमें कुछ भी सहायक हो सकी, तो जिस संग्रहके प्रकाशनका अद्देश्य सफल कहा जाअगा । 2. >




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