फसलों के कवक रोग व उनकी रोकथाम | Fungal Diseases Of Crops Plants And Their Control
श्रेणी : विज्ञान / Science
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
698
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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पादप रोग
(एव 015९95९5}
प्राणियों को भांति पौधो मेनभीस्यर्नेक प्रकार के रोग पाये जाते हैं। बुवाई से
लेकर कटाई तक श्ौर गहाई से लेकर उपभोग तक फसलो को रोगों से निरन्तरं
खतरा बना रहता है। जब से मंनुप्य ने खेती करना प्रारम्भ किया है, उसी समय से
उसे फसलीं को नष्ट करने वाले तत्त्वों एवं पौधों के रोगों से उग्र तथा संतत सर्प
करना पड रहा है । महामारियों द्वांरा किस प्रकारं फललो का विनाश हुप्री, इसंका
विवरण वेदो, बाइबिल तंथां हिंदू ग्रीक व रोमनं.-के प्राचीन ग्रंथ, लेखों में पाया गया
हैं। ईसा से लगभग 4000 वर्ष पूर्व भी धर्म-ग्रयो में ऐसे संकेत मिलते हैं, जब रोमे
के निवासी प्रपने देवता रोविगस को खुश करने के लिये बसेन्त के महीने में श्वेत
लेम्बे चोगे पहन कर वाधिक उत्सव घूम-वाम से मनाते थे, भौर पीले कुत्ते की बलि
देते थे । इस भायोजन कां उद्देश्य किदूट नामक विंनोंशकारी रोग के प्रकोप से गेहू
के खेतों को बचाता था ।
बनस्पतिं विज्ञ/म को वह शाखा जिसके श्रन्तगंत पौधों के विभिन्ने रोगों का
भध्ययन किया जाता है; पादप रोग-विक्ञान कहते है । शोदप रोग-विज्ञान पौधों के
स्वास्थ्य भौर उनंकी उत्पादकता से सम्बन्धित विधान है । फाइटोपेथोलोजी शब्द प्रीक
शब्दों फाइटोन (पराघा), पेथोस (रोग) एवं लोगस (प्रध्ययन) तीन यूनानी शब्दों के
मेल से बना है।
पौधों के रोगों के बारे में भलग-भलग परिभाषाएं दी हैं। पादप रोग-बहुत
सी जैविक धटनाप्रों के समान हैं, जिनका सौमावद्ध करमा या परिभाषा देना कठिन
है, फिर भो कल्पना कौ जा सक्ती है । पादप रोग, रोग की वे भवस्था हैं जिसमें
पौधे अपने साधारण रूप से भिन्न दिखाई दें, या स्झाकारिकी में किसी प्रकार का
परिवतंन हो । दूमरे शब्दों में पौधों मे दैहिक क्रियात्मक परिवर्तन हो या किसी भाग
मे उत्पन्न भराफ़ारिकी वक्रता हो । सामान्य या स्वस्थ पौधों भौर प्रपप्तमान्य या रोगी
पौधों के बोद कोई निस्वित मेदक रेखा नही है ।
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