हमारा देश - भारत भाग - २ | Hamara Desh - Bharat Bhag - 2

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१० का काम दिया जाए, तो बहुत खुश होते हैं। हर बात में रोक-टोक से हतोत्साह हो जाते हैं, जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं वे दूसरों की राय का आदर करने लगते है। इत समय वे समूह में रहना पसंद करते हैं और मिलजुल कर काम करना, खेलना, गाता उनको बहुत अच्छा लगता है। १२, उनमें ऊंच-तीच का भेदभाव नहीं होता है। सभी से उनकी दोस्ती आसानी से हो जाती है। १३, सभी बच्चे जितती जल्दी हो सके बड़े हो जाना चाहते हैं। इसलिए वे नई बातें, नए काम सीखने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। वे बड़ों के समान काम शुरू से ही करना चाहते हैं और ऐसे काम की जिम्मेदारी लेने के.लिए भी तैयार रहते हैं। १४, स्थूल वस्तु जिसे वे देख सकते है, छू सकते हैं, उन्हे काफी मआकपित करती है। इन्हीं के सहारे उनकी शिक्षा, उनके अनुभव बढते जाते हैँ । १५, प्रारंभ में इस अवस्था के बच्चों के पास वे साधन नहीं होते जिनसे विधिवत शिक्षा प्राप्त की जाती है। ये साधन वे धीरे-धीरे प्राप्त करते है और उनका प्रयोग सीखते हैं । बच्चों के विकास की विशेषताओं की यह सूची पूर्ण नहीं है। इसमें केवल उन्हीं विशेषताओं की ओर संकेत किया गया है जो इस आयु के बच्चों में साधारण रूप से पाई जाती है भौर जिनका उपयोग शिक्षण-प्रक्रिया में बहुत ही लाभदायक ढंग से किया जा सकता है। जो शिक्षण क्रिया इन विशेष- ताओं पर आधारित होगी वह बच्चों को स्वभाव से ही पसंद आएगी और उन्हें सीखने में सहायता देगी | प्रत्येक विशेषता शिक्षण के लिए अपना-अपना महृत्त्त रखती है और उसे अध्यापक को समभ लेना चाहिए। आगे चलकर शिक्षण के सामान्य सुभावों में इसकी चर्चा की गई है। शिक्षण के कुछ सामान्य सुझाव पाठशाला सीखने के लिए उपयुक्त वातावरण बनाती है और सीखने के अवसर प्रदान करती है। बालक कब सीखता है ? केवल किसी बात को बता देने से ही वह सीख नहीं सकता । वह अधिक से अधिक उसे रट कर दुहरा सकता है। इससे उसके व्यवहार में कोई परिवर्तत नहीं आता। वास्तव मे बालक तब सीखता है जब वह सीखने की प्रक्रिया में स्वयं सक्रिय रूप से भाग लेता है। इसके लिए आप दो बातें हर समय ध्यान में रखें। एक तो यह कि बालक में सीखने की प्रक्रिया के प्रति रुचि हो और उसे इसमें अपने किसी अर्थ की सिद्धि होने की संभावना दिखाई दे | दूसरी यह कि आप अपनी कक्षा में ऐसा वाता- वरण और परिस्थिति बनाएँ कि सीखने की क्रिया सुचारु रूप से संपत्न हौ सके, वच्चे निर्धारित कशल- ताओं, आदतों आदि को सीख सके और दुहरा सके । इस प्रकार आप सहज ही अपने बांछित लक्षय को प्राप्त कर सकगे। अतः सीखने का उपयुक्त वातावरण तैयार करना ओर शिक्षण को बच्चों के लिए रोचक और अ्थपूर्ण बताना ही आपका मुख्य कत्तेव्य है। इस संबंध में आप निम्नलिखित सुझाव ध्यान में रखें;




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