रीढ़ की हड्डी | Reedh Ki Haddi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
159
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)डा० रामकुमार মা
नाटककार होने के साथ-साथ कवि श्रौर ऊसोचक भी हे । हिन्दी-
एकाकी के जन्मदाता माने जाते है। सर्वप्रथम नाटक बादल की স্ব”
है जिसे सन् १६३० से लिखा था। आप मध्यन्देश के निवासी हैं ।
सागर मे १४ नवम्बर १६०४ को आपका जन्म हुआ था, पर शिक्षा
प्रयाग विश्वविद्यालय मे हुईं। वही श्राप प्राध्यापक भी है! प्रारम्भ से
ही उस विश्वविद्यालय के रगमंच से गहरा सम्बन्ध रहा है । इसी कारण
श्रापके नाटक अभिनय-कला की दृष्टि से सफल हे ।
इधर जबसे रेडियो का प्रचार और प्रसार हुआ है तबसे आपके
अनेक ध्वनि-नाटक प्रसारित हो चुके है । इस कला मे भी पर्याप्त
सफलता मिली है ।
आप सर्वप्रथम कवि है। इसलिए आपके नाटकों मे कवित्व की
प्रधानता है। आप सौन्दर्य के शिल्पी ओर मनोभावों के सूच्म विश्लेषण-
कर्ता हैं । ऐतिहासिक और सामाजिक दोनो प्रकार के नाटक लिखते है।
सामाजिक नाटकों मे दास्य की दल्फी-हल्की दाया बरावर रहती है ।
भाषा सरल, भावश्रधान भश्रौर मजी हु है । सम्बाद चुस्त है ।
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