संस्कृत स्वयं शिक्षक | Sanskrit Swayam Shikshak

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Sanskrit Swayam Shikshak by श्रीपाद दामोदर सातवळेकर - Shripad Damodar Satwalekar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ट्वतीय भाग - हु रामातू रामाभ्याम्‌ रामेभ्य ६. रामस्य रामयोः रामाणाम्‌ ७. रामे हक तक सम्वोधन के रूप पू्ववतु पाठक बना सकेंगे । इस शब्द में दृतीया का एकवचन रासेरण तथा पषष्ठी का वहुवचन रामाणास इन दो रूपों में नकार के स्थान पर सरकार हुभ्रा है । इसी प्रकार निम्नलिखित दब्दों के रूप होते हैं -- पुरुष नृप नर रामस्वरूप सर्प कर रुद्र इन्द्र व्याघ्न गर्भ इत्यादि भ्रकारान्त शब्दों के रूप उक्त प्रकार से बनते हैं । परन्तु कई ऐसे शब्द हैं कि जिनमें र अथवा प श्राने पर भी नकार का कार नहीं बनता । जसे-- कृप्णेन । कृष्णानामु । कर्दमेन । कर्दमानाम्‌ । नतनेन । नतेनानामु । इस विषय में नियम ये हैं-- . २ नियम--जिस शब्द में र भ्रथवा प हो श्रौर उसके परे न थ्रा जाय तो उस न का रा वनता है जैसे-- . कृष्णा विष्णु इत्यादि. शब्दों में पकार. के बाद नकार पाने से नकार का णकार बन गया है । सूचना--पदान्त के नकार का साकार नहीं चनता जैसे रामान पारा इत्यादि ं 5 नियमों झपया पे सौर रनों इनके बीच में कोई है ये. थे र. पावन पथर्स झनस्वार में में एया सन ४ ५४. थे रच माय मु एद््यु अनुस्थुर मन यूरापस एप शायद .. पिन न. रे श्र मार राययर 3 ८ कम है सगे गरम दर पर भी नकार रुप सकपर हो जादा है। जैसे नर




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