श्री पंचास्तिकाय टीका [प्रथम खण्ड] | Shri Panchastikay teeka [Volume 1]
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
444
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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1২ खंधमें
ও न्यायोह न्यापोह
२६ तक्ति तकि
१९ अपि शब्द हैं। अपि शब्द तं
१. हन
९ अच्छदिति अच्छादित
९ अमे अभेद
३ हो वीतराग तो वीतराग
. ७ स्वोवयोगिनी स्वोपयोगिनी
२२ नोयणमेक. नोगणमेक হব पुण्गं॥३ २४
१३. संस्वाती संखाती
1৭ अब अवरं
१ निद्धिया विदिया
१७ রী আনন.
२२ सकनेके सकनेसे
१८ कृश्त्क शरत
९ अपस्धर्मे अवस्थामें भी
२१ आया आयाते
२२ जीवके नी।. जौवके
२ भाव ही भाव नहीं
२ भाव नहीं होतेह| भाव होते हैं
११-१८ उप्तको <~ जधन्यको पिदरािक्ा
मेद आयगा अनतवां भाग जो अनंत
उसका भाग देनेपर
अवि उतने घन्यमे मिः
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