पहला कर्मग्रन्थ | Pahla Karmagranth
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
298
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कै
१६
२१
° रर
र्दे
সই
२४
२४
२९
२७
२७
२६
ই
२३९
३६
२
३
१४
2:
४
८६
६२
९९
হই
६६
&ई
*» १३
» २२
च ¶ ই
« २१
* ৭
* ৯৩.
७ ৮ र
( 3३ )
अशुद्ध - -
स्तानकोश्चय
पाडुड छ
श
भु ३०
मागण न
पद़ोधों
चार वस्तुओं
विदारणं ১
अतिपति मे
जधन्य
पदार्थ है ह
नपवखुस्स `...
घांखके
तयंचउहा
सातवेदनीय
मज्जंव
जीवक
२२
ছিল
इुभवपद्
सो ५
तृणका
ইজি
কহ
` मयशः
आर ७
का +>
शद्ध
शानको अंग
पाहुड
সুজ
मशि
पदार्थों
चार यावत् चौदह पूर्वौ
विहार
अतिपाति .
जघन्य
पदार्थ के
चक्सुस्स
आंखकीं
तयं चडहा
असातवेदनीय
मन्जव
जीवके
२१
দাবির
इभयं पड
सोड
तृणकी
इसलिये
चरस
यशः
चौर
की
User Reviews
No Reviews | Add Yours...