प्रताप पीयूष | Pratap Piyush

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Pratap Piyush by रमाकान्त त्रिपाठी - Ramakant Tripathi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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डा न, _ तथा साधारण कोटि के लिक्खाड़ थे तो यह अ्रश्न हो सकता. है कि कांग्रेस के जन्मदाता हम साहब; बंगाल के प्रसिद्ध देश-- _ सेवी विद्वान्‌ इंश्वरचंद्र जी विद्यासागर, श्रीमान्‌ मालवीय जी. _ भारतेंदु हरिश्चंद्र आदि दिग्गज पुरुष उनके अति इतना अ्रगाढ़ सता करना अनुचित है। यदि वास्तव में वे फकड़सिजाज़ी म्रेम तथा श्रद्धा करों रखते थे ? इश्वरचंद्र जी विद्यासागर एक बार प्रतापनारायण जी मिश्र के घर पर मिलने आये थे । कहते हैं कि उन दोनों में काफ़ी देर तक बँगला में बड़े प्रेम से बार्ता- कहीं जाती है कि विद्यासागर जी को बड़ी आवभगत से लेने के बाद सिश्र जी ने उनके जल-पान के लिए दो पमेसे के पेड़े सँगाये थे । इस ५. के , लाप हुआ था । सब से रोचक बात इस प्रसंग में बात पर जितना हीं सोचते हैं उतनी ही हैँसी आती! है। कहते हैं. इलाहाबाद काँग्रेस में भी एक इसी प्रकार की. घटना हुई थी । उस साल्न श्रतापनारायण जी कानपुर शहर के प्रतिनिधि बन कर गये थे। एक दिन वे जब अपने तंबू के .. बाहर खड़े थे झूम साइव उधर से निकले । देखते ही. . सिश्र जी ने उन्हें नमस्कार किया । द्यम साहब ने उन्हें सप्रेम :.... छाती से लगा लिया और कुशल-समाचार पूछा कि बतलाइए कि हम साहब ऐसे बड़े आदमी जिससे ऐसे... ....... प्रेम से मिलें तथा विद्यासागर जैसे विद्वान्‌ जिससे सिलने उसके... पक घर पर आव आर उसके दा पेड़ों का जल-पान प्रेमपूर्वक स्वीकार करें; बदद क्या कोरा मसखरा हो सकता है !




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