आर्यभट्ट विज्ञान - पत्रिका | Aaryabhatta Vigyan Patrika

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : आर्यभट्ट विज्ञान - पत्रिका  - Aaryabhatta Vigyan Patrika

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about डॉ विजय शंकर - Dr. Vijay Shankar

Add Infomation AboutDr. Vijay Shankar

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
पर्यावरण प्रदूषण का वेदिक समाधान -डा० भारतमुबण विद्यालड्ार रीडर, वेद विभाग ग्रुइकुल कागडी विश्वविद्यालय, हरिद्वार जब हम पर्यावरण की चर्चा करते हैं तो सर्वप्रथम उसके क्षेत्र के बारे मे प्रन उठता है । यह पर्यावरण है क्या ? क्यो यह अधिक चर्चा का विषय वन गया कि संयुक्त राष्ट्रसघ से लेकर ग्रामटिकाओं तक इसकी चर्चा होने लगी तथा उसके प्रदूषण के भय से कम्पन प्रारम्भ हो गया । पर्यावरण--परि +आ + वरण अर्थात्‌ इस सम्पूर्ण दृश्य तथा अदृश्य जगत को सब ओर से आवृत करने वाला | वेसे तो पर्यावरक ब्रह्म ही है, क्योकि वहो एकमात्र हो इस सम्पूर्ण जगत को एक पाद में धारण किये हुए है ^ त्रिपाद्‌ उध्वं दिवि) । परन्तु पहं हमारा विचारणीय ब्रह्म न होकर पृथ्वी को प्रभावित करने वाले प्रकृतितत्व है । इसलिये सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड इसके अध्ययन का विषय है। यह सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड पचतत्वों से बना है, अतः पञचतत्व इसके कारण है। सत्व-रजस्तमसा साम्यावस्था प्रकृति. के अनुसार प्रकृति के तत्वों को साम्प्रावस्था ही प्रकृति है। और यह प्रकृति जीवजगत का कारण है। परन्तु जब इस साम्यावस्था में बेषम्य उत्पन्‍्त होता है, कोई प्राकृतिक या कृत्रिम व्यवधान इसमे उपस्थित होता है, तो यह जीवनदापिनो प्रकृति जीवन को समप्त करने का साधन हो जातो है । यहु असात्म्य, आकाञ्ञ मे ध्वनि के माध्यम से, चायु मे विभिन्न गीय तत्वो के उच्चाबच होते से, आगेय तत्व सूर्यादिते आने वाली किरणों के अल्प या तीव्र अथवा हानिकारक तत्वों के रूप मे पृथ्वी तक पहुंवने से, जलो के बहुत बरसने, न बरसने या क्षार, अम्ल इत्यादि से भदूषित होकर पृथ्वी पर असने से यह पाथिव जगत प्रभावित हौ जाता है। ओर यह्‌ प्रभाव हमे वनस्पतियो, प्राणियो, रोगो या प्राकृतिक उपद्रवों इत्यादि के रूपमे दिखाई देता है । पृथ्वी षर मी यह प्रभाव वातावरणको दूषित करके फैलता है। विविध प्राणी विशेषहूप से मनृष्य इस सन्तुलब को बिगड़ने मे महत्वपूर्ण भूमिका रखते हैं । (५).




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now