नवयुग का प्रभात | Navayug Kaa Prabhaat

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Navayug Kaa Prabhaat by थामस ए डुली एम डी - Thomas A Dooley, M D

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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यचनों का निर्वाह १३ उस उँगली का ऊपरी सिरा चोन की लाल हथेली में जुदा हो और आगे का सिरा कम्बोदिया और दक्षिणी वियतनाम में घुसा हुआ हो । राजदूत सूवान्नावोंग ने चीन और बर्मा से लगे हुए उत्तर-परिचमी प्रान्त की ओर शारा किया । पहली बार मेरी नज़र उस नाम पर पड़ी, जो भविष्य में बार-बार मेरे मस्तिष्क में चक्कर काटनेवाला था । वह था एक प्रदेश का नाम - 'नाम-था ! । उन्होंने कहा-“ उसे आपकी सबसे ज्यादा ज्रूरत होगी; लेकिन आप वहाँ जायें, तो आपको काफी खतरा उठाना पड़ेगा । 'नाम-था” सबसे अलग पढ़ता है । वहाँ के लोग गरीब हैं, रोगों का वर्ह राज है। राजनीतिक परिस्थिति नाजुक है; किसी भी परिचमवासी के लिए उसे समझना बहुत कठिन है। ” मेंने नक्शे को देखा और यह देख कर मुझे आइचये हुआ कि ' नाम-था ' उत्तरी वियतनाम के उस दर्दनाक शहर, देफोंग से पर्चिम, लगभग एक सीध में है । दूरी होगी लगभग पाँच सौ मील। १९५४ के जिनीवा सम्मेलन द्वारा तय की गयी शर्तों के मातहत दोनों पड़ोसी प्रान्त 'पाथेत लाओ” का अस्थायी अड्डा बन गये थे । और “ पाथेत लाओ? का नेतृत्व साम्यवादियों के द्वाथ में था। इसी सम्मेलन ने वियतनाम का विभाजन किया था तथा कम्बोदिया और लाओस को इंडो-चीन में “ तटस्थ ” बनाया था। मैंने कहा कि हम खतरा उठाने को तैयार हैं, परन्तु साथ-ही-साथ सावधानी बरतने का बचन भी दिया | राजदूत सूवान्नावोंग ने बड़े तपाक से हाथ मिलाया और मुझे आश्वासन दिया कि उन्हें मुझ पर पूरा विश्वास है। उन्होंने कहा-“ पहले भी कई बार गोरे लोग हमारी सहायता करने आये हैं ; परन्तु उसके पीछे हमेशा कुछ स्वार्थ छिपा रहता था ~ जेते उपनिवेश क्रायम करना, व्यापार करना, लोगों का धर्म-परिवतैन करना । परन्तु मुझे वास्तव में विश्वास है कि आपका उद्देश्य शुद्ध मानवतावादी है। इसीसे आपका दल मेरे देश में अनूठा रहेगा। ” फिर उनकी आँखों में एक चमक दिखायी दी और वे बोले - “ ह, मेरे कुछ देशवासियों को इस पर विश्वास करने में ज़्रा कठिनाई अवश्य होगी। ” हमारे मिशन को क़ानूनी मान्यता दिलवाने के लिए इंटरनेशनल रेस्‍्क्यु कमेटी ( अन्तर्राष्ट्रीय उद्धार समिति ) के अध्यक्ष, एंजियर बिडल ब्यूक ने हमें अपनी समिति के तत्वावधान मे छेने की ध्यवस्था की । सारे संसार में इस समिति का मान है । मेने एक बार फिर बैंक के भपने खाते पर गौर किया । अपनी पुस्तक ओर माषण-अभियान की कमाई में जमा करता आ रहा था। फिर वियतनाम के अपने




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