खनिज जगत | Khanij Jagat

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Khanij Jagat by धर्मेन्द्र कुमार - Dharmendra Kumarश्रीलाल सोलंकी - Srilal Solanki

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श्रीलाल सोलंकी - Srilal Solanki

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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चित्र-7:31, चिन्न-7:32, चित्र-7:33, किच्र-7*34, चित्र-735, चित्र-7-36, चित्र-7*31, चित्र-7 38, चित्र-7'39, चिन्र-7*40, चित्र-7*41, चित्र-7*42, श्रष्टफलक से चतुष्फलक का विकास । घनात्मक तथा ऋणात्मक चतुप्फलक । त्रिकोणक द्वादशफलक (221) त्रियचतुप्फलक (211) 4&-पघट्चतुष्फलक | ए-वोरेसाइट सयोजन : ঘন ४ (100) दादशफलक ५ (110) अष्टफलक ० (111) समलंवाक्ष आ्राकृतिये एवं सयोजन घन 8 (100), हादशफलक 6 (110), ग्रप्टफलक्त ० (111) समलंवाक्ष आकृतिये एव सयोजन ल्यूसाइट की सरल झाकृति (211) ऐनेल्साइट-सयोजन : घन ৪ (109) समलंबवफलक 7 (211) श्रष्टफलक ० (111) समलवाक्ष आकृतिये एवं संयोजन गार्चेट-सयोजन : समलवफलक ॥ (211) हादशफलक ५ (110) पडप्टक फलक 5 (221) समलवाक्ष आकृतिये एव सयोजन घन 8 (100) अष्टफलक ० (111) हिद्वादशफलक $ (321) पाइराइट फलक € (210) दिसमलंवाक्ष श्रक्षे, जरकान की एकक आकृति हारा काटी गई लवादइये, (== 09054 जरकॉन टाइप की सममिति | &-द्वितीय क्रम का चतुष्कोणीय प्रिज्म (100) और आधार पिनेकॉइड (001) [যদ] 314 315 315 315 317 317 318 320 321 323




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