आजादी के सत्रह कदम | Ajadi Ke Satrah Kadam

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Ajadi Ke Satrah Kadam by जवाहरलाल नेहरू - Jawaharlal Neharu

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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नीति है, लेकिन आखिर मे देण चलता है उस तरफ जिधर लाखो मौर करोडो आदमी काम करके उसे चलाते हे । देश का सब काम होता है, उन करोडो आदमियो के छोटे-छोटे कामो को मिला कर । देश की दौलत क्या है ? जो आप लोग और देश के सब लोग अपनी मेहनत से कमाते हे । दौलत कोई ऊपर से तो नही आती । यानी देश का काम मजभुआ है करोडो आदमियो के कामो का । अगर हम देश से गरीबी निकालना चाहते है, तो हम अपनी मेहनत से काम करके, दौलत पैदा करके ही वैसा कर सकते हैं । लोग समझते हूँ कि कही वाहर से दौलत आए, उसका हम वटवारा करें । चारो तरफ से सिफं मागे आए, चाहे किसी प्रान्त से, चाहे किसी सस्या से । सेकिन पैसा कहा से आता है ? जनता की मेहनत से आता है जो मेहनत से जनता कमाती रै, जो खेत मे जमीदार या किसान कमाता है, जौ कारखाने मे कमाता दहै, जो दुकान में कमाता है--इस तरह से देश की दौलत वहती है गौर देश तरक्की करता है । तरक्की करने के लिए गौरो को सलाह देने से काम नहीं चलता, बल्कि काम चलता है यह देखने से कि इस देश को आगे बढाने के लिए, ইল क्या कर रहे है । हम अपने काम से और सेवा से इस देश को कितना बढाते है और उसकी दौलत कितनी जमा करते हे । अगर इस ढंग से हम देखें तो हम अपने देश को तेज़ी से आगे वढाएगे, मजवूत करेगे मौर दुनिया मे एक आलीशान देण वनाएगे । मौर अगर हम खाली सोचेगे, आपस में और औरो के साथ लडाई- झगडा करेंगे, तव हम कमज़ोर रहेंगे। मौर महात्मा जी की वजह से दुनिया जो हमारी कदर करती थी , बह भी कुछ कम कदर करने लगेगी । इसलिए आज के दिन ठीक होगा कि हम सोचें कि पिछले साल किस तरह से हम भ्रकसर मुसीवतो पर हावी हुए। यह भी ठीक है कि जो बड़े-बड़े काम इस साल हुए उनको हम सोचें-समझें और कुछ गरूर भी करें | कौमी गरूर कोई इन- सानी गरूर नही । लेकिन ओर भी ज़्यादा ठोक होगा कि हम अपनी कमजोरी की तरफ देखें और जो-जो बातें रह गई है उनकी तरफ देखें और पिछले जमाने में जो गलत बातें हुईं उनको देखें और देख कर उनको दूर करने की कोशिश करें) खास तौर से जो सिद्धान्त और उसूल बुनियादी तौर से हमारे सामने रहे हैं, उनको फिर साफ करें, धुधला न होने दें और उस रास्ते पर चलें, जो कि हमारे राष्ट्रपिता ने हमारे सामने रखा। और वह बडा ज़हर--जिसने आकर हिन्दुस्तान को तबाह किया, हिन्दुस्तान के टुकडे किए और हिंन्दुस्तान में फैला साम्ब्रदाथिकता का जहर, फिरकेवाराना जहर, कम्युनलिख्म का जहर---इस मुल्क में न बढ़ने दें । में इस वात से आपको पूरी तौर से आगाह करना चाहता ह, क्योंकि हम एक दफे गफलत भें १३ थे मौर उस जहर ने फलकर हिन्दुस्तान को काफी नुकसान पहुचाया और आखिर में वह जबरदस्त सदमा हमको पहुचाया “कि हमारे देश के राष्ट्रपिता को उसने ख़तम किया । इसका एक ज़बरदस्त असर देश १5




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