हिन्दी साहित्य की भूमिका | Hindi Sahitya Ki Bhumika

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Hindi Sahitya Ki Bhumika by हजारी प्रसाद द्विवेदी - Hazari Prasad Dwivedi

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

Author Image Avatar

हजारीप्रसाद द्विवेदी (19 अगस्त 1907 - 19 मई 1979) हिन्दी निबन्धकार, आलोचक और उपन्यासकार थे। आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी का जन्म श्रावण शुक्ल एकादशी संवत् 1964 तदनुसार 19 अगस्त 1907 ई० को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के 'आरत दुबे का छपरा', ओझवलिया नामक गाँव में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री अनमोल द्विवेदी और माता का नाम श्रीमती ज्योतिष्मती था। इनका परिवार ज्योतिष विद्या के लिए प्रसिद्ध था। इनके पिता पं॰ अनमोल द्विवेदी संस्कृत के प्रकांड पंडित थे। द्विवेदी जी के बचपन का नाम वैद्यनाथ द्विवेदी था।

द्विवेदी जी की प्रारंभिक शिक्षा गाँव के स्कूल में ही हुई। उन्होंने 1920 में वसरियापुर के मिडिल स्कूल स

Read More About Hazari Prasad Dwivedi

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
রিট कम / 5 हनच्द। 712৩ £ भारतीय (দি. ৭ম स्वाभाविक विकास १ आजे ८५५ हयार नषे पदर हिन्दी साहिए्व बचना ४७ हुआ था | इन हजार वर्धामोें भारतवर्षका हिंन्दीभाषी जन-सभ्ृ॒दाथ क्‍या सोच-समझ रहा था, হত बातकी जानकारी पकनर साधन हिन्दी साहित्व ही है। कमसे कम मारतवर्षके आधे हिस्तेकी सहसपर्षेन्यापी आशा-आकांभाओंका भूतिमान সী, এছ हिन्दी साहित्व अपने आपभे एक ऐसी शक्तिशाली पर है कि इसकी अपेक्षा भारतीय विचार-धाराके समझनेमें घातक सिद्ध होगी। पर नाना कारणोंति चश्च ही यह उपेक्षा होती चढी आई है। प्रधान कारण यह है कि इस साहित्वके जन्मके साथ ही साथ भारतीय इतिहासमें एक अमूत राजनीतिक और घामिक घट्ना हो गई। भारतवर्षके उत्तर-पश्रिम सीभान्तसे विजयध्त इरछामका प्रवेश हुआ जो देखते देखते इस भमद्ादेशके ३५ कोनेसे 3७ कोनेतक पै नना । इस्कास जेसे सुसगठित घामिक और सामाजिक मतवादसे इस पेशका कभी पाला नहीं पडा था, इसीलिए, इस नवागत चमाजकी राजनी तिक, धामिक और सामाजिक भति-विधि इस पेशके ऐतिहासिकका सारा ध्यान खी-च ऊेती है। यह बात स्वाभाविक तो है, पर 3वित नहीं है। दुर्भाग्य नश; हिन्दी साहित्वके अध्ययन ओर लोकन-चक्षु-्गोचर करनेका भार जि




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now