शपथ | Shapath

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Shapath by श्री हरिकृष्ण प्रेमी - Shree Harikrishn Premee

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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০1 १५ द्य ] प्रथम अंक तीसरा दृश्य [ स्थवान--वन-पथ | समए--मण्यान्हू 1 जयदेव श्लौर उसकी पत्नी उम्रा पथ पर चले ज्ञा रहे हैँ। जयदेव हाथ में नगी तलवार लिये हुए है । दोनो के वस्त्र प्रौर घरोर पूठ-पूम्तर्ति हो रहे है । जान पडता हूँ, बडी दूर से प्रधिरत मार्ग घनते গা হট है ॥ उमा प्रत्यन्त ান্ন-লালল है । उसदे कहि- प्रदेश में भी एफ फटार वेधी हूर है। प्रयत्न प रने पर শী ওলা से মামী चला नहों जाता घोर यह दीएँ निश्वान ऐ ोटयार एव वृक्ष पी छाया में बैठ जाती हैं। जयदेव को भी रकना पउता हैं। ] जयदेय--पहुत घक गई २ उमा>-तों वया भेरे पाँप নন্দ ট জী লিলান লন লী शाएँ, घौर फिर पन्‍्त শী লী নিলাম चातता है । ऊयदेय--विध्राम 7 चर्य पूर्ण दिराम रोया 1 উলা-_-লা भी গা द्िश्यात्र शि थाते बाने शा घा भी पूर्ण विश रने) चवर ৮ ০ এল सल है ५ कृन्त सयदय-7 द ठसक । { {न { धद-<-। शण र रखा एलान में नाप तेता : ১ শালা त {1 1 ক শা হাটি দেন 1 নাল हा ८ ध ~ ही नवाते ह ৮ জগ হালি ॐ शय प्राण রশ ১ ৪ টে न = = ~ = = इमा ऊ -~ ~~ एन (र কোটি তি -- -- +~ {र 5 ^ নত (2 হল 3 কহ হও লে আছি शरएा ना पर न न्त र + ५ 1.38 লালা) সস ৯ সি परेद > स+ त पा १ १ সিল ও ~= ~ সপ সপ ध क ॥ न न्द भ ५।५..५--- , 14, 11 14५ दू ) { ~ -~‡ < श्र = ^ म औज कान न द्र कजम स এ न { र (र रट ¢ भ भ्न ए (~+ ~~ ~ পতি श्-- ~~ ज =< ----- ~~ ^ সাপ টাকি ५ & ‡ ५१५ कैः £ * = ब {र * 4 = ॥ श উই ५० জপ + সতী বাক श्न {ट ५१ | 4 ५६५ 9 উনি =+ 2 &~¶4 ~ শা




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