मनन माला | Mann Mala
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
246
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)হুহাঁল दो! १५
सरकार ! मैं तुम्हारे लिये परम व्याकुल हूँ। आनन्दधन | प्रेम-
छुधा बरसाओ और तुरन्त रूपमाघुरीकी छावण्यता दिखलाओ | अब
विलम्ब न करो ! कृपाकी भीख डाल दो झोलीमें और छुढ़कने दो
इस शरणागतको अपने चारु चरणोमें !
माधव अव न अधिकः तरसेये ।
जेसी करत सदासे आये वही दया दरसैये ॥
मानि लेहु हम कूर कुढंगी कपटी इटिर गंवार
केसे असरन-सरन कहे तुम जनके तारनहार ।)
आरत तुम्हें पुकारत छिन-छिन सुनत न त्रिथुबनराई ।
अँगुरी ढारि कानमें बेठे धरि ऐसी निठ॒राई॥
नाथ ! अब तो तुम्हारा यह असह्य दारुण वियोग नहीं सहा
जाता । षिरहागनिकी ज्वाखसे देह दग्ध होता जाता है । इस जल्न-
को मिठानेवाली ओषधि तो तुम्हारे दर्शनोंमें ही है | बस, एक बार
मृतक-जियावनि-दृष्टिसे मेरी ओर निहारो और इस সঙ্নভিন
विराप्निको बुझा दो | नहीं तो वह समय शीघ्र आनेवाल् है,
जव कि यह प्राण-पखेर उड़ जायेंगे
थाकी गति अंगनुकी मति परि गई मन्द;
खि श्चौधरी-सी हके देह रामी पियरान ।
वाव्री-सी बुद्धि भई हसी काद् छीनि रई,
सुखके समाज मित तित लागे दूर जान ॥
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