ग्रामकोष का वैचारिक आधार | Gramkosh Ka Vaicharik Adhar

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Gramkosh Ka Vaicharik Adhar by जवाहिरलाल जैन - Javahirlal Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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द्वितीय अध्याय क्षेत्र परिचय ग्रामस्वराज्य भ्रान्दोलन में विहार का प्रमुख स्थान रहा द । विनोवाजी . ने विहार को श्रान्दोलन का प्रयोग प्रान्त माना है। भू-दान-ग्रामदान श्रान्दोलन का वँचारिक प्रसार जितनी सफलता से विहार में हुआ उतना श्रन्य प्रान्तों में नहीं हो पाया है । राजगृह के अखिल भारतीय सर्वोदिय सम्मेलन में, 1969 में गांधी णतान्दी कै भ्रवसर पर “विहार-दान' सम्पन्न हुआ । इस व्यापक काम के बाद सघनता की शोर जाना स्वाभाविक था। इसी वीच-1970 में एक ऐसी घटना घटी जिसके कारण श्री जयभ्रकाश नाराय ने विहार के मुजफ्फरपुर जिले के भुसहरी प्रखण्ड को श्रपना कार्य क्षेत्र बनाया । इस प्रकार पूरे देश का ध्यान मुसहरी की ओर गया, साथ ही साथ उसमें लगे लोगों को कार्य की एक नयी प्रो रणा मिली । इसी वपं स्वं सेवा संघ का श्रविवेणन सेवाग्राम में ग्रा 1 इस श्रधिवेशन कै श्रवसर पर विनोवाजी की प्रेरणा से विहार के लोगों ने सरहसा जिले को सघन कार्य के लिये चुना । सरहसा का पड़ौसी जिला है पूणिया । पूर्िया श्री वैद्यनाथ प्रसाद चौधरी की कर्मभूमि है। पृणियाका रूपौली सरहसा जिले के साय लगा हुआ्रा प्रखण्ड है| श्री वेद्यनाथ प्रसाद चौवरी ने रूपौलीमें वस्ने का निणंय किया) इस प्रकार विहार में सधन कार्य के तीन क्षेत्र वने--सरहसा, मुसहरी श्रौर रूपौली । इन तीनो क्षेत्रो के श्रतिरिक्त मुभेर जिले का काका प्रखण्ड विहार का प्रथम प्रखण्ड है जहां पुष्टिका কাজ विशेप सधनता से चला है । यहीं सवसे पहले प्रखण्ड सभा वनी । इन बातों को ध्यान में रखकर सहरसा, मुस्तहरी, रूपौली और फाफा--इन चार क्षेत्रो को इस श्रध्ययन के लिये चुना गया । इन क्षेत्रों का सामान्य परिचय इस प्रकार है। सहरसा-- सहरसा विहार का एक नया जिला है। यह उत्तर विहार का सबसे छोटा जिला भी है। 2 अप्रेल 1954 को भागलपुर जिले से काट कर यह




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