सिक्ख - मुग़ल सम्बन्धो का एतिहासिक विश्लेषण (1605-1716 तक ) | Sikkh-Mugal Sambandho Ka Etihas Vishleshan (1605-1716 Tak)
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
70 MB
कुल पष्ठ :
190
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)রী
पर निर्भरथी 1 हिन्दू समाज का गौण अंग समझे जाते थे । जनसंख्या की दृष्टि से वे मुस्लिमों
से अधिक थ । हिन्दू-समाज प्राचीन काल से ही चार वर्णो- ब्राहमणः, क्षत्रिय, वैश्य व शूद्र में
विभाजित था । इस्लाम की बाढ़ से हिन्दू समाज ने स्वयं को सुरक्षित रखने की दृष्टि से अपने
आपको छोटी-छोटी जातियों तथा उपजातियों में बांट लिया | इसका कारण यह था कि
मुसलमान लोग अपने धर्म का प्रचार करने के लिए इस देश में आये थे और वे हिन्दुओं में
घुल-मिल जाने के लिए कदापि उद्धृत न थे, वरन् वे अपना अलग अस्तित्व बनाये रखने के लिए
दृढ़-संकल्प थे | ऐसी स्थिति में अपनी सुरक्षा के लिए हिन्दुओं ने अपनी जाति प्रथा के बन्धन को
अत्यन्त कठोर बना दिया । उन्होंने मुसलमानों को मलेच्छ के नाम से पुकारा और उन्हें अस्पृश्य
बतलाया । अपनी सभ्यता तथा संस्कृति की सुरक्षा काउन्हें यही एक उपाय दिखाई दिया और
इसी को उन्होने अपना अवलम्ब बना लिया । सामाजिक रूप से मुस्लिम हिन्दुओं को घणा की
दृष्टि से देखते थे । हिन्दू अपनी स्त्रियं के सतीत्व की रक्षा के लिए उन्हें बाहर नहीं निकलने
देते थे > परिणामस्वरूप हिन्दू समाज मे पर्दा-प्रथा, सतीप्रथा, बाल-विवाह ओर कन्या-वध
आदि कुरीतियों का प्रचलन हो गया |
हिन्दू स्वतंत्र रूप से अपने धर्म का आचरण नही कर सकते थे । उन्हे हिन्दू होने
के कारण मुस्लिम शासकों को कर के रूप मे जजिया देना पड़ता था । इसके अतिरिक्त भय
तथा लोभ से त्रस्त कर उन्हे धर्म परिवर्तन के लिए भी प्रेरित किया जाता था 1”
` ` मुस्लिम आक्रान्ताओं के पंजाब में प्रवेश के उपरान्त यहाँ के लोगों का जनजीवन
अत्यधिक प्रभावित हुआ । मुसलमानों का राज्य धर्म-राज्य' था और साम्राज्य की स्थापना के...
साथ-साथ इस्लाम का प्रचार और प्रसार करना उनका दायित्व था | इसी कारण बहुसंख्यक
गैर-मुसलमानों को धर्म-परिवर्तन के लिए बाध्य किया गया था । मुस्लिम सरकार का
शिकंजा पंजाब में अधिक मजबूत था और इसी कारण पंजाब में धर्म-परिवर्तन की लहर
पूरी शक्ति के साथ चलाई गयी ।* निम्न श्रेणी के लोगों ने इस्लाम को रवीकार करना शुरू कर
27. के0एम0 अशरफ, लाइफ एण्ड कंडीशन आव द पीपुल आँव हिन्दुस्तान, पृ0-- 70
28... पंजाबी कहावत-अन्दर बैठी लक्ख दी, बाहर गई कक््स दी |
29. गोविन्द सिंह मानसुखानी, दि कुविंटिसेंस ऑव सिक््खीज्म, पृ0- 17
30. आईएबी0 वैनजी. एवोल्यूशन ओव द खालसा. पृ-43
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