गाँधी - मानस | Gandhi Manas
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
536
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)“क्यों व बुद्धि का फल हम प्रां ?
सुस के साधन क्यों न जुटावे ?
बटो वटो प्रतिमा कै वले,
कदे चलो वप्त जलसे-थलये !
थागे बढ़ना লীঘ हमारा,
यही ज्ञात है ज्ञेय हमारा ।
यही धर्म है, यही कर्म हैं,
बल का शासन सत्य-मर्स है,
और सभी দলা है झूठे,
भाग्य सदा नि्ल के रूठे ।
स्वय নব जा श्रप्री करता,
प्रभु भी उत्तकी जेवें भग्ता? |
यही वकी कानून चना था, लीलामय की साया से;
चुद्धि-चाद मानव में कलका, जिस छलिया की छाया से ।
नशा राजसी बल-सग्रह का,
कारण बनता हे विश्रह का।
बनी विविध विकयल मशीनें,
श्रिविध काम मानव के कनं |
जो था शासक होने आया,
उसे लोॉह ने दास बनाया |
काले काले यन्त्र लगाये,
या विनाश कै बीज उगये ?
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