हिन्दी भारत का उत्कर्ष | Hindi Bharat ka Utkarsh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ३ ) तोका प्रारंभिक इतिहास” । इस महत्वमय नामकी यथार्थता इस भागको पढ़नेसे सहज ही प्रकट हो जायगी । राजपूत लोग इस कालके अर्थात्‌ ८०० इ० के आसपास कहांसे भारतीय इतिहासकी रङ्गभुमि पर श्रागये, यह इस देशक प्राचीन इति- हासका एक बहुत बड़ा प्रक्ष है। इसका उत्तर यह है कि ये लोग वैदिक आयोके वंशन थे ओर मुसलमान घर्मने जो भारतपर पहला आक्रमण कर खिंघु देशकों पादाक्रान्त किया उखसे जागृत होकर ये हिन्दुधमकी रक्ता करनेको श्रागे बढ़े थे । प्रस्तुत उपविभागमे इन लोगौके राज्य हिन्दुस्थान भरमें स्थापित होगये थे। ओर इनकी बहादुरीकी बदौलत इस- लामका भारत-प्रवेश ओर ५०० वर्षों तक रुका रहा। ये राज- पूत राज्य मुख्यतः मेवाड़के गुहिलोत, सांभरके चाहमान ओर कक्नोजके प्रतिहार्थे। इन लोगौने इस कालमे बडी ही वीरता दिखायी। ये लोग धमंरक्षणके उत्साहसे आगे बढ़े थे, श्रतः इनकी नीतिमत्ता उच्च प्रकारकी थी और शासन. व्यवस्था भी उत्तम थी । इस मागमे वणित इतिदास हिन्दी पाठकोके लिये प्रायः अज्ञातसा है, बल्कि कह सकते हैं कि शअ्रंग्रेजी जाननेवालॉके लिये भी बहुत कुछ यही बात है। कनेल टाड लिखित राजस्थानका इतिहास प्रसिद्ध ग्रंथ हे, परन्तु उसमें राजपूतो- का आरंभिक इतिहास बहुत ही शीड़ा हे ओर वह भी बहुत करके दनन्‍्तकथाप्तूलक है। हां, मुसलमानी कालसे इधरका जो इतिहास उन्होने दिया है वह सिलसिलेवार तथा साधार है । राजपूतौका प्रांरभिक इतिहास ठीक प्रकारसे न दे सकनेके ভিত ক্লক टाडको दोष नहीं दिया जा सकता। कारण यह कि उस समयतक शिलालेख आदि प्राचीन इति-




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