तरत्नाकर पच्चीशी | Ratnakar Pachhishi
श्रेणी : धार्मिक / Religious, साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
704 KB
कुल पष्ठ :
68
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
मुनि मंगलसागर - Muni Mangalsagar
No Information available about मुनि मंगलसागर - Muni Mangalsagar
रत्नाकर सूरी - Ratnakar Suri
No Information available about रत्नाकर सूरी - Ratnakar Suri
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दैत्यवं० ] ९ [ विधि
पूच्छाकारेण संदिसद भगवन् ? चेत्यवंदन करूं, इच्छे!
॥ चैस्यवंदन ॥
जय | जय ! नामिनरिंद नंद, सिद्धाचल मंडण ।
जय ! जय ! प्रथम जिणंदचंद, भवदुःख विहंडण ॥
जय 1 जय 1 साधु सुरिंद इंद, बंदिआ परमेसर ।
जय | जय ! जगदानंदकंद, श्री ऋषभ जिणेसर ॥
अमृत सम जिनधर्मनो ए, दायक जगमें जाण ।
तुज पद पैक प्रीतधर निश्दिन नमत करपाण ॥
॥ जं किंचि ॥
ज॑ किंदि नामतित्थं, सग्गे पायालि माणुसे लोए।
জার जिणबियाई, ताईं सवाई बंदामि ॥
॥ नमोत्थुण ॥
नमोत्युणं अरिदंताणं, मगवंताणं। आइगराणं तित्थ-
यराणं, सयंसंबुद्धाण ॥ पुरिसुत्तमाणं, पुरिससीहाणं, पुरिसवर-
' पुंडरियाणं, पुरिसवर गंधहत्थीणं ॥ लोगुत्तमाणं, लोगनाहाणं,
लोगद्ियाणं, छोगपईबा्णं छोगपोअगराणं | अभयदयाणं,
चरुखुदयाणं, मग्गदयाणं, सरणदयाणं, बोहीदयाणं। धम्म-
दयाएं धम्मदेसियाणं, धम्मनायगाणं, धम्मसारहीण, धम्म-
पर-चाठरंत-चकबड्टीण | अप्पहिदयवरनाणदसणघराण, दिअ-
User Reviews
No Reviews | Add Yours...