जापान की राजनीतिक प्रगति | Japan Ki Rajneetik Pragati

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Japan Ki Rajneetik Pragati by डॉ. जार्ज एत्सुजीरों उयेहारा - Dr. George Etsujire Uyeharaलक्ष्मण नारायण गर्दे - Lakshman Narayan Garde

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डॉ. जार्ज एत्सुजीरों उयेहारा - Dr. George Etsujire Uyehara

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लक्ष्मण नारायण गर्दे - Lakshman Narayan Garde

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १६ ) दिदेवोशीने देशमें ब्यवा बनाये रखनेया काय्यै अपने हायिमें लिया। राजाले उतरकर दूसरे नम्बर्पर यददी था। शसने कियोती और ओसाका नगरपर किलायन्दीकी भोर वतते सशोधन व्यि धीर पोचुंगोय लोर्गोक दसा मत कैलानेसे रोका । उसके मरे पोछे १६५५ विरमं उक्त साले तोकूगावा! इयेयासूने प्रधान वल पकड़ा! ईसाह्योको उसने सूध दवाया । साथ दी दिदयोशौके छोटे बेदेको अशुश्ना बनाकर विरोधमें खड़ा दोनेयाले सर्दारों औए जायीर- दायको (१६५७ चि०) दयाया । १६६० विर्ण्मे उसमे सरे जआापानफों अपने अधिवारम करके खत शोगून चन गया। १६०० पि्में লাকা ध्यानपर दसाषर्योका पप्य दी जापान भरफे लिप তল समय वड महत्वकी घटना यी । प्य- यासे तास्लुरैदारी राज चलाया ज्ञिसकों उसके थोते इये बासुने और भी दृद कर दिया। इसकी चल्तायी तोकूगापा सरकार १६५५ थि० तक बनी रही । इनकी शोशुनाईमें जापानकी शाम्ति छुखसम्द्धि खूबयढ़ीं! १६१० घि०्तक ज्ञापानसें विदेशी मिकाल बाहर कर दिये गये । इसके पीछे अमराका बर्तानिया, कस, आदि दशशासे ब्यापारी নিথর কী गया। और देशी व्यापारियोंसशे लिए भी कई यन्दरसादके सस्ते नोल दिये गये। शोगूम पदुका बल बहुत धट गया। दिदेशियोफे चरण पड़ते ही जागीरदारों और ताशुकेदारोका शासन दूट गया | আলিম शोगूतका १६२७तक राज्य रहा इसके दाद शोगून दल और राजदलमें सभाम चिद गया श्रौर १६२५ पिर्म राडपदकी ष्ट विलप ट) इसके वाद भिकादोने अपनी राजधानी तोकियों बनायी। फुमिकारा बशके शासनमें बसे




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