पत्रावली | Patrawali
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
49
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about मैथिलीशरण गुप्त - Maithili Sharan Gupt
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रतापसह का पत्र
[ १५ |
क्षुपा से बेटी का वह तड़पना में निरख के;
न हे पृथ्वीराज ! स्थिर रह सका धय रख के।
'के आत्मा की भी सुध-बुध न हा ! रखक रही,
क्षमा कीजे मेरी यह अबलता--केवल यही ॥
१६ |
न सोचा मेनि हा! कि यह सव है दव-वटना;
स्व-कत्तव्यों से है समुचित नहीं नेक हटना ।
विधाता जो देवे महण करना ही उचित दहे
उप्ती की इच्छा में सतत शुभ है ओर हित है ॥
| १७ |
कीं सोचा होता धृति सहित मँ ने यह तभी,
न होता तो मेरा यह पतन् श्राकरस्मिक कभी ।
सहारा देते जो तुम न मुझको सम्प्रति वहाँ,
न जाने होता तो उस पतन का अन्त न कहाँ ।
[ १८ |
तुम्हारो बातें है ध्वनित इस अन्तःकरण मे,
पुनः आया मानों अखिलपति की में शरण में ।
यही आशोवांणी अब तुम मुझे; दो हृदय से,
न छद. जीते जी यह व्रत किसी विज्न-भय से ॥
१९
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