यज्ञोपवीत संस्कार तथा वेदारम्भ संस्कार एक दिन में | Yogpaitsanakar Tatha Vedarambh Ak Din Me

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Book Image : यज्ञोपवीत संस्कार तथा वेदारम्भ संस्कार एक दिन में  - Yogpaitsanakar Tatha Vedarambh Ak Din Me

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ६ ) स्मो य आत्मदा बलदा यस्य विश्व उपासते प्रशिषं यस्य देवाः । यस्यच्डाया- ऽभरतं यस्य मृत्युः कस्मे देवाय हविषा विधेम \३॥ यजु० अ० २५ মণ হই। खोइम यः पाणतो निमिषतो महित्वेक दद्राजा जगतो बभ्रूव । य ईशे शरस्य दि पदश्चतुष्पदः कस्मे दैवाय हविषा विधेम ॥४॥ यजु° अ० २३ मं० ३। ओश्सू येन द्योख्या पृथिवों च दूढा येन स्वः स्तभितं येन नाकः। यो अन्तरिक्षे रजसो विमानः कस्मे देवाय हविषा विधेम॥९॥ यजु° अ० ३२ मं०६। स्मोरेम्‌ प्रजापते न त्वदेतान्यन्यो विश्वा जातानि परि ता बश्रूव । यत्कामास्ते




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