एतिहासिक जैन काव्य संग्रह | Athihasik Jain Kavya Sangrah

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Athihasik Jain Kavya Sangrah  by भंवरलाल नाहटा - Bhavarlal Nahta

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[> दासजी सेठ न्याय व्याकरणतीर्थ” ने कर देनेकी छपा की है; श्रीयुक्त मिश्रीछालजी पालरेचा महोदयसे भी हमें संशोधनमें पूर्ण सहा- यता मिली है। श्रीयुक्त मोहनछाल दलीचन्द देसाई 3..0.1..1..3. ( चकीर हाईकोर्ट, वम्बई ) ने भी समय समयपर सत्परामरच द्वारा सहायता पहुंचाई है । इसी प्रकार कतिपय काव्य उ० सुखसागर- जी, मुनिवर्य रत्नमुनिजी, लब्धिमुनिजी एवं जेसलूमेरबाले यतिवर्य लक्ष्मीचन्दुनीने और कतिपय चित्र-ब्छाक विजयसिंहजी नाहर, साराभाई नवाव, सुनि पुण्यविजयजी आदिकी कृपासे प्राप हुए है, एतदर्थं उन सभी, जिनके द्वारा यत्किच्ित भी सहायता मिली हो, सहायक पूज्यों व मित्रौके चिर कृतज्ञ है । निवेदक-- अगरचन्द नाहटा, भंवरखार नादय ।




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