वधदीपक | Vadhdeepak
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
44 MB
कुल पष्ठ :
839
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)जीवनचरित्र- १३
वृण पताका सूर्य पताका आदि १५ य॑त्र और जैनाम्ायके रोग मिठाणेके सो मेत्रविधि
मेत परतवाणे मये वताये सो सव सल फल्द थे वो फेर सिद्धगिरी गरिरनार यात्रा कर
कनेर परि हमारे रिष्य भीमाटी आाह्मनकूं दीक्षा जा करदी वाद हूंढक मत पराख
टक गुजराती छापेका एक जेठा कच्छी श्रावकने भेट की वंसीधरलालाने भज्ञान तिमर
নাজ और आर्य देशविवस्था भेट की इन तीनोंके पढणेसें वेदशास॒ व्यवखा जोर
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कर श्रीनेमचंदजी जैपुरवालोंके समक्ष १० जती और छया लीसकी जाखा तीजदू
शिष्य हमारा जती बणाया सभानें तथा शिप्यने युक्ति वारिषिः पद लिखा मुंरमें श्रीपर
शिवलालसें विक्रियान २५ रुपे सरकडे कमीसनसे व्याकरण काव्य कोश वेदांत न्याव चद्
अलंकार नाटक ज्योतिष वैधक भारत वाल्मीक संग्रदायोंके अनेक शास कमीशन हास
बचचणे लगा भर वांचते रहता दो वर्षमें अन्य मतांतरीयोंके पीराणादिक अनेक एोक्त
शाम्रोंके रहस्यका जांणकार होगया लक्ष्मणमट्डकों मेंनें वडे कष्टसे बचाया ঘা वो श्रीरा-
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रदा लेकिन आंखोंसें पुस्तक कभी नहीं दिखाते लेकिन संसारं धन्यः महिमा है. इस
वैधविधाके उपगारकी सो वो भट्जी और पंडित श्रीशामजी अंतरंगसे सब मूठ घोर
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अतांपरोका शास पांचस धाचायोवी सम्मतीका डिश मादु दः धान भ
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