कोठारी की बात | Kothari Ki Baat

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Kothari Ki Baat by अज्ञेय - Agyey

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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लाया ९५ পিপিপি শা পপ ০ পপ ~~~ = পাশাপাশি পাপা পপ हैं ।' कहकर में फिर अपनी ड्यूटी पर चला गया। कोठरियाँ खोलकर क्रेदियों को कारखाने में पहुँचाना था | सब्र कोठरियाँ खोलकर में उसकी कोटरी पर पहुँचा। दरवाज़ा खोल- कर मेंने कहा, अरुण बाबू , चलो कारखाने में । कहते-कहते मैंने वह चिट्ठी उमके हाथ में दे दी। उसने कहा, आज तबीयत ठीक नहीं, में काम पर नहीं जाऊंगा ।' 'तो फिर डाक्टर को रिपोर्ट करनी होगी । कर दो॥ 'वे अभी यहाँ आएँगे ।' कहकर मेंने आँख से इशारा किया । वह बोला, हाँ, हाँ, आने दो ।' और कुछ मुस्कराया | मुझे तसल्ली हो गह कि उसने इशार। सममः लिया है । मेँ कोटरी बन्द्‌ कर डाक्टर को बुलाने चल। गया । जव में डाक्टर के साथ वापस श्राया तव वह्‌ कुद चवा रहा था! इमे देखकर जल्दी से निगल गया । मेने मन-ही-मन कहा, ठीक है, चिद्री तो गई । डाक्टर ने क्रदी से कटा, जवान दिखाश्रो | क्रेदी ने जवान निकाल दी । डाक्टर उसे देखने को कुका और बहुत धीरे-धीरे बोला, अगर तुम चाहो तो में तुम्हारी मदद कर सकता हू ॥ रदी ने मुस्कराकर उसी तरह धीरे-धीरे उत्तर दिया, भेरे पास कुछ नहीं हे । ओर होता भी तो. . .” मे मुंह फेरकर हंसा । डाक्टर बोला, क़ददी बीमार नहीं हे, बहाना करता हे । साह को रिपोर करो, कहकर वह चला गया । मेंने कहा, अरुण बाबू , तुमने अच्छा नहीं किया । उसने हँसकर जवाब दिया, मुझे अब किसी की परवाह नहीं हे ।- आधे घण्टे के बाद हेड वाडर ओर डिप्टी के साथ साहब आये । उन्हें देखकर क़रेदी उठा नहीं--वहीं बेठा रहा । साहब ने डपटकर पूछा, “काम पर क्यों नहीं जारा ^ उसने शान्त भाव से उत्तर दिया, तबीयत ठीक नहीं हे ।' साहब ने कहा, ट वेर्टी स्टादप्स !` अर चले गये । जाने पर म।लूम हुश्रा--अीस वंत का हुक्म दे गये हे । हेड बार उसे उसी वक्त ले गये । मेँ सन्न हुश्च! । अपनी ड्यूटी पर बेटा रहा, ..




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