आदर्श आवेश और सत्य | Adarsh Avesh Aur Satya
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
256
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about विष्णु प्रभाकर - Vishnu Prabhakar
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)18 मेरी तेंतीस कहानियाँ
परकार ने सूचित किया है कि भैया लापता हैं और भाभी के लिये जैसे
इसका कोई अर्थ हा नहीं है। न रोती हैं, न सुनती हैं । पत्थर की प्रतिमा
जैसी यन्त्रवत काम में लगी रहती हैं।” के
उसे खूब याद है कि वह् ऊुसफूसाया था-भाभी र ई नही, क्यों ? क्यों
नहीं रोई ? বি কি হু ছা
जस तूफान गजं उठा । उन्नचास पवन एक साथ उमड़-घुमड़ आये। कई
लण वह आलोड़ित रहा फिर स्तन्व हो गया । वहत चाहा कि तुरन्त भाभी
को लिखे परन्तु तीन दिन के प्रयत्न के बाद दो ही पंक्ति लिख सका
“मैया अवश्य लौटेंगे | जगदीश्वर इतने निर्दयी नहीं होंगे ।?
उत्तर में इतना ही पाया--मैं जानती हि 1
नेफा में वे वीरतापुर्वक लड़, सुव नडे, प्र इतने घायल हौ गए कि साथी
मृत प्म कर छोड आये । इरमन ने तो मिट्टी का तेल डल कर आग भी
लगा दी। लेकिन उसी आग से जेसे उनके प्राण लौट आये । होश में आने
पर सवसे पहले उन्होने जलती हुई जाकट उतार फंकी और फिर धीरे-धीरे
रेंगते हुए रात के अन््पकार में अपनी चौकी पर लौट आये । प्रोफ, उस
छोटी-सी यात्रा की कहानी । मैं लिख नहीं सकूंगी । रोमांच हो उठता है ,'
भ्रव, उह सैनिक अस्पताल में हैं। हम सब वहाँ गए थे। भाभी वहीं
पर है। भैया कभी अवस्था बहुत अच्छी नहीं है । सतु को गोलीने नाक का
कुछ भाग काट दिया है। प्लास्टिक सर्जरी हुई है। सुनती हैं एक हाथ
श्रौर एक पेर भी काट देने की वात है + ২.
. ভি লী সাই यही क्या कम वात ইঃ परन्तु जानते टो, भाभी ने जब
भैया রি के जीवित होने का समाचार सुना तो वह संनाहीन ही गईं थीं।
कई घंटे बाद प्रांख खोल सकी | नहीं जाननी थी कि हर भी इतना घातक
होता है। बात वात में रो उठती हैं। लेकिन भैया के सामने वरावर हँसती
रही | यँसुओं की धार के पीछे उनकी हंसी नहीं रकती 1
सैनिकों के लिये और उनके परिवारों के लिये उन्होंने जितना कुछ
या है उसका लेखा-जोखा भेरे नेश का नहीं है। प्रभी-अभी लौटी हूँ
বাকি होली फिर श्राने वाली है। उनका प्राग्रह है कि सदा की भाँति इस
User Reviews
No Reviews | Add Yours...