प्राच्य जैन सराक शोध कार्य | Prachya Jain Sarak Shodh Karya
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
178
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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अहिसा निकेतन--वेलचपा ने सरकं का कार्य अभियान किया । श्री वाचू-
लालजी जमादार जैसे कर्मठ कार्यकर्ता इस कार्य में जुटे---और श्री सेठ-
ला० हरचन्दमल जैन के भतीजे श्री सेठ विमरप्रसाद जी जैन ने पूर्णरूप से
योगदान किया । श्रीसराक जैन समिति ने पूर्व भारत के तमाम मरक क्षेत्र
का सर्वेक्षण किया फलत चार पृस्तिका के रूप में मराक-का पूरा मान
चित्र आपके सामने आया ।
अहिंसा निकेतन बेलचपा ने इस कार्य को विस्तृत करने का मानसिक
वृत तैयार किया है ।
मित्रो | आपकी भावना की कसौटी का अब समय आ गया है क्योकि
अब हम सक्रिय क्षेत्र में कदम रख चुके हैं और सराक को गले लगाकर
पुन प्राची में अहिंसा का उद्घोष करने जा रहे है ।
पज्य श्री त्र° गीतलप्रसादजी ब्रह्मचारी, श्री पुण्यात्मा मगल
विजयजी महाराज, श्री श्रद्धेय गणेनप्रसादजी वर्णी एव तपोवनं श्री
जगजीवनजी महागज आदि महापुरूपो की अन्तनिहित भावनाओं को
साकार कर उन्हे श्रद्धाजलि देना हं ।
हमारी मतिप्य की कार्यरेखा होगी
१ अहिसा निकेतन के प्रमुख पत्र “वेल चपा के प्रकाशन द्वारा सराक-
जेन सस्कृति का उद्घोप ।
२ नये जेन-सराक-तीर्थं कौ स्थापना ।
३ तीथं के साथ येवा केन्द्र ओर शिक्षा केन्द्र ।
४ पूर्व भारत के तमाम सराक वन्वुओ का एक वि्ारू महामम्मेलन ।
५ २५००, श्रौ महावीर गताब्दी समारोह मेँ--सराकं के साथ पूर्ण
मिलन का दृढ सकल्प ।
यदि महावीर प्रभु की कृपा वनी रही भौर आपके महयोग का शुद्ध
भाव-प्रवाह आ मिला तो सिद्धि अवश्य होगी ।
आनन्द मगलम् बेलचपा दिनाक २०-८-७३
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