प्राच्य जैन सराक शोध कार्य | Prachya Jain Sarak Shodh Karya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[ > || अहिसा निकेतन--वेलचपा ने सरकं का कार्य अभियान किया । श्री वाचू- लालजी जमादार जैसे कर्मठ कार्यकर्ता इस कार्य में जुटे---और श्री सेठ- ला० हरचन्दमल जैन के भतीजे श्री सेठ विमरप्रसाद जी जैन ने पूर्णरूप से योगदान किया । श्रीसराक जैन समिति ने पूर्व भारत के तमाम मरक क्षेत्र का सर्वेक्षण किया फलत चार पृस्तिका के रूप में मराक-का पूरा मान चित्र आपके सामने आया । अहिंसा निकेतन बेलचपा ने इस कार्य को विस्तृत करने का मानसिक वृत तैयार किया है । मित्रो | आपकी भावना की कसौटी का अब समय आ गया है क्योकि अब हम सक्रिय क्षेत्र में कदम रख चुके हैं और सराक को गले लगाकर पुन प्राची में अहिंसा का उद्घोष करने जा रहे है । पज्य श्री त्र° गीतलप्रसादजी ब्रह्मचारी, श्री पुण्यात्मा मगल विजयजी महाराज, श्री श्रद्धेय गणेनप्रसादजी वर्णी एव तपोवनं श्री जगजीवनजी महागज आदि महापुरूपो की अन्तनिहित भावनाओं को साकार कर उन्हे श्रद्धाजलि देना हं । हमारी मतिप्य की कार्यरेखा होगी १ अहिसा निकेतन के प्रमुख पत्र “वेल चपा के प्रकाशन द्वारा सराक- जेन सस्कृति का उद्घोप । २ नये जेन-सराक-तीर्थं कौ स्थापना । ३ तीथं के साथ येवा केन्द्र ओर शिक्षा केन्द्र । ४ पूर्व भारत के तमाम सराक वन्वुओ का एक वि्ारू महामम्मेलन । ५ २५००, श्रौ महावीर गताब्दी समारोह मेँ--सराकं के साथ पूर्ण मिलन का दृढ सकल्प । यदि महावीर प्रभु की कृपा वनी रही भौर आपके महयोग का शुद्ध भाव-प्रवाह आ मिला तो सिद्धि अवश्य होगी । आनन्द मगलम्‌ बेलचपा दिनाक २०-८-७३




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