वापसी | Vapasi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
216
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)वापसी
वाधिली अब एक बहादुर सिपाही था। पेशे से बह फौजी नहीं था,
खार्कोब के नजदीक लिखोविडोबका नामक एक गाव'का बह एक महत्वपूर्ण
किसान था । बीजों, पौधों और जानवरों की बीमारियों का विशेषन होने के
कारण सारे गांव में उसकी धाक और प्रतिष्ठा थी । वासिली का घर गांव भर
के लोगों को मुपत, परन्यु बहुमूल्य सलाह-मजविरा देसे का अड्डा बना रहता
था। वही बासिली २० जून, १६४१ को, जिस दिन जर्मनी से रूस पर अचानक
हमला कर दिया, रूसी फौज में शामिल हो गया । अपनी' सुन्दर पत्ती और दो
लड़कियों से विदा लेकर वह खारकोब चला यया |
हुत जल्द यह साबित हो गया कि वासिली बहुत ऊंचे दर्जे का एक सिपाहु।
है । उसका झोहदा बढ़ा दिया गया और उसे क्रण्ट पर भेज दिया गया । पूरे
२८ महीनों तक वासिली फ्रण्ट पर रहा | इस सम्बे अरसे में रूसी फौजो को
लगातार पीछे हटना पड़ा । पीछे हटते हुए रूसी फौजों को जल्दी-जल्दी में
पन्वासो कामं करने होते धे ¦ उचकी कोशिश रहती थी कि दुश्मन के हाथ एक
भी ऐसी चीज़ न लगे, जिससे उसका बल बढ़े । किस चीज़ की गांव वालों को
जरूरत है और कौन-कौन-सी चीजें दुश्मन के काम आ सकती हैं, इस बारेमे
बासिली एक विशेषज्ञ माना जाते लगा । फौज में उसकी प्रतिष्ठा और अधिक
बढ़ गई ।
बासिली की इस बढ़ी हुई प्रतिष्ठा से उसे यह नुकसान पहुंचा कि वह अपनी
फौज के लिए लगभग झपरिहायें हो गया । उसे छुट्टी मिलना असम्भव हो गया।
जिस [तरह एक बड़े टैंक को लड़ाई के मैदान से दूर ले' जाने की कल्पना भी
नही की जा सकती, उसी तरह वासिली को फ्रण्ट से दर भेज सकना लगभग
असम्भव माना जाने लगा ।
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