भारतीय विपणन में सरकार की भूमिका का मूल्यांकन | Bharatiy Vipanan Men Sarakar Ki Bhumika Ka Mulyankan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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एवं अवा-छित क्रियाओं का नियमन एवं नियंत्रण करती উই | আল চিত্র ते आशिक द्वेन्न में तरकारी हत्त अनिवार्य सा होता जा रहा है | यह अव्य है कि सरकारी हस्तक्षेप एवं निरयत्रेण की दारं तथा तौर तरीके बदलते रह सकते हैं । कारण कि प्रत्वेक पीढ़ी अपनी समस्याओं को अपनी द्वष्टि ते देखी है । इस प्रकार तरकार देश में राजनीतिक ফল आशिक तंस्काीति का पोष्ण करती है और त्ाथ ही अपने नागरिकों के बहुमुखी व्यक्तत्व के विकास हेतु अर्थिक क्षत्र का नियमन स्वं निर्यत्रणे करती है । प्रत्येक राष्ट्रीय सरकार चाहे वह समाजवादी दही, या पुंजीव दो अश्वा ता म्पावादीहो, राष्ट्रीय हित के लिये व्यक्तिगत সাধক क्रियाओं पर नियंत्रण कामोयेशी रूप में करती है । इत লট मे चविषव के हर राष्ट्र में एक नया अ क दीन पिकसित हो रहा है जौ सरकारी क्षेत्र को अपरिहार्य बनाता जा रहा है और तभी तम्बद्द पर्ष के समक्ष व्यवसाय एवं विपणन तम्बन्धों की स्थापना की चनौती भी प्रस्त॒त करता जा रहा ই | अगज तरकार एक प्रमुख केवायोजक के रुप में सामने आ रही है इस लिए व्यवसाय व विपणन तक सरकार सम्बन्धों का महत्त्व बढ़ता जा रहा है । তা বাজাতে यदायदा धित म भकयित अनिको तदनो कि सावो कदो सोवि টাও মটর রানীর হারতে রর 2, बनज एवं पमैरवार, सरकार, समाज एवं व्यवसाय रिरसर्च प व्लकेषान इन सोतन साइंस, पृष्ठ 132




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