पंजाबी - संस्कृत शब्दकोश | Punjabi Saskrit Shabd Kosh Dictionary

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Punjabi Saskrit Shabd Kosh by गयाचरण त्रिपाठी - Gayacharan Tripathशिवकुमार मिश्र - Shivkumar Mishra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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तनेक पे युरूज्जते प्र पं च्च नर घ ता ण्प के न हल न न जि रद ठ जे च् ठ श्ु घं से प ठ थ छठ घ उि प्‌ प्रो | ड द पंजाबी के स्वरादि शब्दों में सर्वप्रथम है से आरंभ होते बाले शब्दों को रख गया है अनन्तर सी है आदि स्वरों से आरंभ होते वाले शब्दों को क्योंकि पंजाबी की स्त्रर-माला में है हो आदि स्वर है । इसी जकरर स्पंजनादि शान्दों में सर्वप्रयम नम से आरंभ होने वाले शब्दों को रखा गया है बाद में ध द आदि व्यंजनों से आरंभ होने याले शब्दों को क्योंकि पंजाबी की व्यंजनन-माला में सर्वप्रथम स्थान पर का ही हैं यहाँ ध्यातव्म है कि स्वर से प्रारम्भ होने वाले एब्दों का क्रम तो एंघाबी-वर्णमाला के स्वरों के क्रमाबुसार ही रखा गया है फिम्तु व्यंजन के साथ संबुक्त होने पर स्वरों का क्रम देवलागरी वर्णमाला के स्वरों के क्रमामुसार रखा गया है । इस स्थिति में व्यंजन-संयुक्त स्वरों का क्रम होगा न मग मि नेगणोंध्यंजन स्नर-रहित हैं उनको सबसे अन्त में स्थान प्राप्त हुआ है । तात्पर्य है कि न मा सा मे की समाप्ति के पाश्चात्‌ हीं स्थर-रहित व्यंजन आयें हूँ । यया--स्थ सन आदि । पंजाबी-माषा के सुप्रसिद्ध सोश महातु कोश में थी उपयुक्त क्रम ही अपनाया गया है । 4 आभार एदपपरठेटी कोस-निर्माण के दस दौर्घ अस्तराल में अभेक बिद्रश्जनों का योगदान रहा है । हम सबके हुधय से अभारी हैं । उतने कुछ सोगों का नामतः स्मरण करना हुस अपना पावन कर्तव्य समझते हैं । रस क्रम में सर्चप्रमम उन शब्दकोशों अभदा शब्दावणियों के विज्ञान सस्पादकों एनं लेखकों के प्रति हम अपनी भखण्ड अदा लपित करते हैं जिससे हमने इस कोश में पंजाबी के शब्दों का संचयत्त किया है । इस प्रसज् में शिन्ा-मन्लालय भारत सरकार द्वारा प्रकाशित हित्दी वदूस कामन टू अवर-इण्डियिन लेखेजिज का हिन्दी-पंजायी -प्र्नभह शीयुत शारन एस० दर्मर प्रणोत ए कम्परेटिव डिचशनरी सॉफ इण्डो झार्यव सेग्वेजेज सबकी बोली सीविर्वसाथ दिनकर मरे द्वारा रचित शिारतीय व्यवहार-कोश आई कार्ड सिह हारा सम्पाधित महाद कोश भाषा-विभान पश्यिला का पंजाबी-हिस्वी कोश तथा परंजाबी-ईरिलिश शिक्शनरी विशेषतः उल्लेखनीय हैं। कोशों की श्रद्धा में स्व? चतुर्वेदी द्वारका प्रसाद शर्मा तथा पण्डिच तारिणीश शा द्वारा सम्भाधित संस्क्त-शब्दार्थ कौस्तुभ तथा सर मोनियर विशियम द्वारा ग्रणीस सिस्कृल-इंग्लिश शिर्शनरी एवं डा हुरदेव बाहरी का. बहुत मंग्रेंजी-हिंन्दी कोश भी सस्ता उल्लेखनीय हैं जिनसे भरी के निर्धारण एवं अनेकामेक शंकांओं के समाधान में प्रचुर सहायता प्राप्त हुई है। सिद्धात-प्रस्वों में भट्टोनिदीलिंठ द्वारा रचित सिद्धात कौंमुददी ने हुमारी अनेकानिक गुस्थियाँ सूलझाई हैं 1




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