बीसलदेव रास | Bisaladev Ras

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Bisaladev Ras by माता प्रसाद गुप्त - Mataprasad Gupt

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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बीसलठेव रास भूमिका है ५ वीसलदेव रात के सम्बन्ध मे, जैसा हम आगे देखेगे, यह वात ओर भी अधिक लागू होती है, कारण-यह है किं काल के व्यवधान से उसकी विभिन्न प्रतिय कम-से-कम उसके पाँच प्रकार के पाठ प्रस्तुत-करत्ती है, जिनमे कुल मिलाकर लगभग पौने पोच सौ एद आते है, जिनका केवल २७%-२८ प्रामाणिक माना जा सकता है, .औरिस २७%-२८% के सम्बन्ध में भी इन प्रतियों में इतना पाठ भेद है कि अन्यत्र कम ही मिलेगा । फलतः केवल पाठालोचन के' सिद्धान्तों. के आधार पर-जैपा अगे किया गया है-पाठ-निर्धरण करके ही हम कृति. का टठीक-टीक मूल्यांकन कर्‌ सकेगे | >; ¢ ^ २. प्रयुक्त प्रतियों “बीसलदेव रास” की प्राप्त प्रतियोँ अपने पाठ-साम्य के आधार पर” पॉच समूहों में रकखी जा सकती है : म० समूह, प०- समूह, न°. समूह, .अ० समूह ओर स॒० समूह । इन्दी समूहो के अनुसार उनका एक संक्षिप्त परिचय नीचै दिया जा रहा है। ये समस्त प्रतिरयो श्री अगरचन्दजी नाहटा से प्राप्त हुई । म० समूह्‌ इस समूह की केवल दो प्रतिय प्रात हई है। _ (१) म०-जिसकी पुषिका इस प्रकार. है :- । | २०२1 । इति श्री वीसलदेव रास समाप्त । ।छ। | । | श्रीरस्तु । । । । कल्याणमस्तु । । । श्री ।। पुष्पिका में प्रतिलिपिकार-विषयक. या अन्य कोई उल्लेख न होने के कारण इस प्रति के नामकरण के लिए उपयुक्त आधार नहीं मिल सका। इसके ऊपर कागज बड़ौदा के श्री मजूमदार के पत्ते का था, इसलिये उनके नाम के पहले अक्षर के अनुसार इसका संकेत 'म०” रख लिया गया है। 9. दे० आगे इसी भूमिका में श्रतियों के पाठ-सम्बन्ध-सूत्र' शीर्षक के अन्तर्गत विभिन्न समूहो से सम्बन्धित विवेचन ।




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