तब और अब | Tab Aur Aab
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
23.17 MB
कुल पष्ठ :
312
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)तब श्रौर अब श्प्र इसका अर्थ यह नहीं निकलता । यह भी सम्भव है कि तुम्हारे वाला इच्छा- पत्र पुर्वे का लिखा हो श्रौर रजिस्टरड पीछे वाला हो । जी नहीं । यह रजिस्टड पुर्व का है एव यह तो उन्होंने देहावसान से एक सप्ताह पुर्वे ्रपने रुगणागार में बैठ लिखाया था | इसके साक्षी है । इसका लिखने वाला भी है । इस रहस्योद्घाटन से तो गोवर्घेनलाल भौचक्का हो मुख देखता रह गया । कुछ देर विचारकर उसने कहा तो ठीक है । शिवकुमार तूम वे सब प्रमाण न्यायालय मे उपस्थित करना । मुझको तुम्हारे यह सिद्ध करने पर कोई नाराजगी नहीं होगी । में यह कहने झाया हू कि झाप मेरे वकील के कहे श्रनुसार झपने बयान दे दे । झापका श्रौर गौरी का वह भाग जो रजिस्टड इच्छापत्र के अझतुसार बनेगा में दे दूगा । नही तो यह मुकदमा चलेगा श्रौर कदाचित् कई वर्ष तक चलेगा । देखो शिवकुमार मैं इसमे से कुछ भी ग्रहण नहीं करना चाहता । मै बयान तो वही दूगा जो सत्य है । दोष रही बात मुकदमे की मुक्कको कुछ भी प्रफसोस नहीं होगा यदि तुम जीत जाझोगे । एक बात झ्ौर बता दू । यदि यह मन्दिर बन- वाने की इच्छा लाला जी की न होती तो मै तुम्हारी बात स्वीकार कर लेता । कितना रुपया मन्दिर के हेतु चाहते हो ? जितना इच्छापत्र के अनुसार बनता है । मै सम्पत्ति का मुल्य नहीं जानता। तुमको मुझसे श्रघधिक ज्ञात होना चाहिए। उसको छोडो | मैं एक लाख रुपया सत्यनारायण के मन्दिर के लिए दे दूगा । मै मुकदमे से बचना चाहता हु। इस तरह नहीं । तुम सम्पूर्ण सम्पत्ति की सुची एवं मूल्य लगाकर ले झ्राझों । उसका चालीस प्रतिशत मन्दिर के लिए दे जाश्नो तो में लाला जी की सम्पत्ति का श्रादाता नहीं बनूंगा । श्रभी न्यायालय में उपस्थित होने को दस दिन झोष है । तुम इतने दिन मन में सोच लो । पांच-छः दिन में अपनी इच्छा को व्यक्त कर जाना । देखो बहिन गौरी भाई-बहिन में मुकदमेबाजी ठीक नहीं होगी । साथ ही में झापका दिवाला पिला दूगा । मुक्कको तो कुछ पता भी नहीं चलेगा । यदि मेरा कहा मानों तो तुम्हारा एव जीजा जी महाराज का भाग घर बैठे मिल सकता है । इतना कह शिवकुमार चला गया। उसके चले जाने के उपरान्त गौरी ने
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