हिन्दी काव्य में निर्गुण संप्रदाय | Hindi Kavya Me Nirgun Sampraday
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
150 MB
कुल पष्ठ :
524
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सगुणोपासना के स्थल रूपों जैप्ते मूत्तियों तथा भः
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श्रद्धा प्रदर्शित करने के विरोध के कारण ही निर्गुणी र # कह सकते है ।
यहाँ पर यह भी उचित जान पड़ता है कि “निर्गुण संप्रदाय की
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सूफ़ी संप्रदाय कहते ह (इनमे से पहला तत्वतः हद् है श्रौर दूसरा
इस्लामी है । ये दोनों निर्गुण संप्रदाय से इस बात में भिन्नहें कि ये
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जानसि नहि कस.कथसि अयाना |
हम निगेण तुम सरगुन जाना ।। कबीर म्ंथावजी, पू १३०.।
निगन मतसोहवेदकोश्चत्ा। ^
बह्म सरूप भरध्यातम संता ॥
गुज्ञाल, ( म० बा०, ए० ११४ )।
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खट दरसन कौ जीति जियो हं।
निरगुन पंथ चलाय नाम जो करवीर कषाये ॥
पंथ शब्दावली ( हे० कजि० ) में किसी सुरतं गोपा के
छ अनुयायी का कथन ।
*...-निरंजनों संग्रदाय के प्रसुख कवि;--भनन्ययोग के रचथिता प्रमस्य
` कास (ज सन् ११६८) निपट निरंजन ( संतत सरसी, निर्जन
सश्र दत्यादि के रचयिता) (ज ० सन् १५६३) भगवानदास निरजगो
५ ( प्रमपदाथे वं शष्टतघारा के रचयिता) भचि्भाव काल सम्
१६२६ है० इस संप्रदाय के सम्बन्ध में भ्रभी तक वस्तुतः कृष
भी नहीं किया गया है। इस संबंध में डॉ० बश्थ्वाल का एक अक्षर
लेख उनके निबन्ध संग्रह में देखिये।._ --- सम्पादक
[--सूफियों के लिए पं० रामचन्द शुक्र का हवो साहित्य का इति
` ध° ६४, ११९) (तथा प्रस्तुत अंथ के १७ से १० तक) पृष्ठ देखि
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