मध्यप्रदेश में रचनात्मक कार्य | Madya Pardesh Mein Rachnatmak Karya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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13 वस्तुप्रों की कीमत छघुकाते हैं । 2. ऐसे खरीददार, जो प्रपनी बस्ल बेचने जाते है-ऊँस, मर्गा एश्दा, मब्शे प्रवाज, मिट्टी के बरतन পাহি গীহ इनके ददले में वे प्रपतो जरूरत वो घो रे यनी ति जाते हैं। (एम प्रकार के लोग क्रेता प्रौर विक्रेता दोनों को भूमिका शिमाते है 1 लिकिन देखा यह गया क्षि इस प्रकार के लोग स्थानीय बाजार में ठय जाने ये प्रपना माल सस्ता बेचते हैं प्रौर महाजन से महंगी वस्तु सरीदते है । इस प्रहार मे लोग वास्तव में महाजन की भूमिका नहीं निभाते उवट पवनो प्रावश्यदता शो पूर्ति कै लिए प्रपनी चीज किसी भी भाव में बेचने को मजबूर होते हैं । 3, ऐसे लोग, जिन्हें वाजार-भाव फी লালক্বাহী হী আনীত লাতিন उन्हें जिस भाव से देता है, ये उसी भाव में दस्तु खरोद लेते है, महाजन प्रधनं ध्ट्ष- হাহ द्वारा इनसे मनमाना लाभ प्राप्त दरता है । 4, यहां ऐसे लोगों की संझुया पर्याप्त है, जो इन बाजारों में महाजन मे पास प्रपते प्रण्न तेकर पश्राते हैं। ये लोग महाजनों मे रप्ये उमार सेते है। झर्झे श्य्‌ प्रपने महाजन की दुकाम से प्रौर उसके परात्त न हुई तो दूसरी दुशान से एपनी उस्व फी यस्तुएँ परीदते हैं। सामान्य प्रादियासी इसी थे णी में घाता है। ऐसा एाया गय कि एफ ध्यक्ति किसी एक ही महाजन से सम्दस्प नहीं रणता, दल्वि ८! धर्नेरः मा« जनों से फेन-देन का सम्बन्ध रखता है। दससे उसे बड़ा लाभ यह मिलता है शि उन पर किप्ती एक महाजन का भारी पज नही पट पात्ता प्लोर एक मे इर्शार बरने पर पा उसका ज्यादा पर्ज हो जाने पर दूसरे महाजन से इज प्राप्त ही जाया है । पदि फर्ज लेने घालों को फर्श लेने मे: कारणों मो তিল विभाजित शग्ना पार, तो उनका पहू कम बनता है :-- 1. रोज की जरूरत पो परा दरने फे लिए लिया गया बऊं । 2. सामाजिय प्यपहार पे लिए लिया गशे शरद । एस स्यडार में रस्म, विषाह, मृध्यु भादि है । एसफे प्रतिरित्ता योहारों पर भी लोग दर्ज तेत ह) 3, पाफरिमगः पद्ना फे कारएा লিহা ধাহা যু । বল दे प्राधियातियों गा घादिश দো [চুল णोमा र। दै सेय দের पसम नही ट ছি হৌটা হিতে এত হব सके इसरी रृप्टि से ইহ লী টি কাতলা होगा বিবি লীঘ হজ টস টা धादि हो गये & हि पतनी (१ ददम আত के लिए हरे लेने गये छपार हो जाते है। फिर इसने লালন বল উনি वो




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