पीरदान लालस ग्रंथावली | Peerdan-granthawali

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Peerdan-granthawali by अगरचंद नाहटा - Agarchand Nahta

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about अगरचन्द्र नाहटा - Agarchandra Nahta

Add Infomation AboutAgarchandra Nahta

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
[ ५ | “७--ईस रदास कृत “देवीयाण” के अन्त मे “लिखतं लालस पीरदान ” प--बारहठ आसोजी कृत “निरंजन प्राण” के अन्त मे “लिखतं लालस पीरदान” 4 इनके अतिरिक्त इस गुटके मे इनकी एवं ईसरदास की कई और रचनाएं भी यद्यपि इनके हाथ की लिखी हुई है पर उनके अन्त में लेखक का नाम नही दिया गया रै । साइया भूले का रुकमणि-ह्‌ र्ण, माधवदास का राम- रासो, गज माख नीसाणी, और छभा पर्वं (स्वयं रचित) पीरदान के पुत्र हरिदास के हाथ का लिखा हुआ है । “गुण হাল कीला” को हरिदास के वाचनार्थ जोधपुर मे खरतर गच्छके भावहर्षीय जिनचन्द्रसुरि के शिष्य पं० शिवचन्द ने लिखा है । प्रस्तुत ग्रन्थावली मे (१) “नारायण नेह” (२) “परमेसर पुराण” (3) “हिगलाज रासो” (४) अलख आराध,” (५) “अजंपा जाप” (६) “ज्ञान चरित”, और (७) “पातिक पहार” इन सात ग्रन्थो, और ३० डिंगल गीतो को प्रकाशित किया जा रहा है। ये सभी रचनाए प्राय भक्ति सवधी है। राम, कृष्ण, हिंगलाज देवी, आदि की स्तुति इनमे प्रधान रूप से है ही पर “परमेसर पुराण” मे अनेक भक्तो का भी उल्लेख दै जिससे राजस्थान के उल्लेखनीय-भक्त-जनो को अच्छी जानकारी मिल जाती है । इनमे से कई तो प्रसिद्ध है पर कईयो के सवध मे अभी विशेष जानकारी प्राप्त करना अपेक्षित है । विद्वानो का ध्यान मैं इस ओर आकर्षित करता हूँ । इन रचनाओं मे दृहा, चौपई, गाहा, चौसर, मोतीदाम, कवित्त, भुजगी, पद्धरी, भूम्पाताली और डिगल गीतो के अट्टतालो, साणोर आदि करई छन्दो का प्रयोग हुआ है । 'परमेसर पुराण' केवल दोहो मे है । सबसे वडी रचना ज्ञान चरित' मे कवित्त' छेद की प्रधानता है । अभी पीरदान लालस जैसे और भी श्रनेक चारण कवियोकी रचनाओं का सग्रह एव प्रकाशन करना अपेक्षित है । उनमे से श्री दुरसाजी




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now