काव्य सम्प्रदाय | Kavya Sampraday

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Kavya Sampraday by अशोक कुमार सिंह - Ashok Kumar Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ठ ) “पास” करना भर रहता है, जिसके फलस्वरूप हमारी वह शकि नितान्त विकृत या कलुषित हौ जाती है । * ** 'इस विक्ृति का प्रभाव पाठको, आलोचकों तथा साहित्यकारों--तीनो पर देखा जा सकता है, और उसका कुफल साहित्यकारों तथा सम्पूण जातीय साहित्य को भोगना पड़ता है !??- ( साहित्य-चिन्ता, पृष्ठ-सख्या ८ ) [ स्रकेत--यह भूमिका काव्य संप्रदाय और वाद की एकत्रित भूमिका है। |




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