भारत | Bharat

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Bharat by श्रीपाद अमृत डांगे - Shripad Amrit Dange

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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तीसरे संस्करण की भुिका/ओ गणो के बिकास के विषय मं भी कोई आन्तिम निष्कर्ष निर्धारित नहीं हो सका था। पूंजी के प्रथम भाग में कार्ल मार्क्स ने अन्य लेखकों की रचनाओं के आधार पर जिस आ्रामीण समाज का उल्लख कया हू वह न था आदम साम्यवादी समाज के युग का गण समाज हूँ और न वह पारिवारिक समाज ही हैं। रक्त सम्बंधों के आधार पर गण समाज की रचना हुई थी और उसमें शोषक तथा शोषितों के सम्बंध नहीं थोे।. लॉकिव ग्रामीण समाज एक प्रादेशिक इकाई थी और उसमें इस प्रकार के सम्बंध संभव थे। इस प्रइन की व्याख्या करते हुए पहले एंगल्स ने पारिवार की उर्त्पात्त में इसके विकास का उल्लेख नहीं लिया था। लॉकिन बाद मं कोबालेव्स्की की रचना के आधार पर उन्होंने इस प्रइन का समाधान अपनी पुस्तक के सन १८९१ के संस्करण मं किया। उससे कोई भी यह जान सकता हैं दि याद किसी समाज में भूमि पर सामान्य रूप से सबका अधिकार होता है तो उस समय भी उसके अधिकारों एवं. सामाजिक उत्पादन ग्रणालियों के तीन रूप संभव होते हैं। उसका पहला रूप शुद्ध रूप मं रक्त सम्बंध पर आधारित अत्यन्त प्राचीन गण समाज है। क्या इसे समाज का. गण रूप कहा. जा सकता है? उसका दूसरा रूप पैतुक सम्बन्धों पर. रचा गया पारिवारिक समाज हैं। क्या इसे समाज का कुल या गुहर्पात रूप कहा जा सकता है? उसका तीसरा रूप वह ग्रामीण समाज है पजिसमें व्यक्तिगत पारिवार होते थोे।. उनके पास कुछ भूमि व्यक्तिगत अधिकार में और कुछ सामुहिक रूप से अधिकृत होती थी। व्यक्तिगत परिवार के आधार पर वे खेती तथा अन्य आर्थिक क्रियाएं करते थे। वे जात्यों या पंचायती रूपी माँ संगठित थे। इस समाज मां .व्याक्तिपरक तथा समहगत अधिकार एक साथ ऑआस्सतित्व माँ थे। कार्ल मार्क्स ने तीसरे रूप के गण समाज का उल्लेख किया है। बर्णों एवं. जातियों से हीन आदिम साम्यवाद के युग में इस समाज का अस्सतित्व नहीं था। वर्गों वर्णो एवं दास व्यवस्था के आरम्भिक यग मेँ भी. इसका अस्सतित्व नहीं. था।. उपरोक्त व्यवस्थाओ के नष्ट होने पर ७ इसका उदय हुआ।. भारतीय सामस्तवाद मं जाति समाज के. गांव का. यही रूप था। कम कब हस सक्षिप्त विवरण मं हम ग्रामीण समाज .एवं. भारतीय सामन्तवाद के वलविकास ब प्रसार को अधिक . विस्तृत रूप मं नहीं बता सकते। जाशियो दवारा .पलनिये गये फैतक श्रम चिभाजन वाले ग्रामीण समाजों के अस्तित्व सो आने से समाज की उत्पादन दॉक्तियों का विवास हथा।




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