धर्म का स्वरूप आधुनिक अमेरिका में | Dharm Ka Swarup Aadunik Amerika Men

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Book Image : धर्म का स्वरूप आधुनिक अमेरिका में  - Dharm Ka Swarup Aadunik Amerika Men

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१३ क्रान्तिकारी युग में धर्मे चलता है कि लोगों का झुकाव घर तथा एकांत में पूजा करने की ओर हो रहा है, बशर्ते उसे पूजा माना जा सके । इस तरह से ये आविष्कार परंपरागत पूजा के तरीकों और चर्च की गतिविधियों को यदि नुकसान नहीं पहुँचा रहे तो उन्हें बदल तो रहे ही हैं । लेकिन परंपरागत धामिक रीति-रिवाज़ों के लिए इस बाहरी खतरे की तुलना में धर्म के लिए अधिक महत्त्व की बात वे विभिन्न परिवतेन हैं जो इन परिस्थितियों में आंतरिक रूप से धर्म में आ गये हैं। अधिक शिक्षित पादरी, अधिक धर्म-निरपेक्ष प्रकार के उपदेश, बहुत ही धर्म- निरपेक्ष संध्या प्रार्थनाएँ ( जो व्यवहारतः मनोरंजन ही होती हैं ) नाट- कीय प्रभाव, सामयिक कथा-साहित्य की समीक्षा, धर्म से असंबद्ध सामा- जिक समस्याओं पर विचार-विनिमय, बाइबिल-विद्यालयों' के स्थानं पर हलकी-सी धामिक शिक्षा, और ज्यादा व्यापक ঘালিল प्रेस, ये कुछ ऐसे परिवतंन हैं जिन पर ध्यान दिया जा सकता है। बहुत-से सूक्ष्म रूपों मे, जिनकी विवेचना हम बाद में करेगे, स्वयं धमं ने आधुनिक जीवन के तरीकों को स्वीकार कर लिया है। अर्थात्‌ बहुत-सी ऐसी बातें जिन्हें. १९०० ई० मे सांसारिक माना जाता था; आज के उदार' धमं के पारस्परिक रूप में शामिल कर ली गयी हैं। और यहाँ मैं कोई ब्रह्म-विद्या के आधुनिकता- वाद के बारे में बात नहीं कर रहा। मेरा मतलूब है कि सिद्धांत और विदवास मे बड़े अंतर के अलावा भी, धर्मनिरपेक्ष जीवन की शक्तियों और आविष्कारों के साथ धामिक व्यवहार और गतिविधियों की ऐसी संगति बैठायी गयी है कि धर्म के व्यावहारिक अर्थ और उसके प्रभाव में क्रांतिकारी परिवर्तेन आ गया है । चाह या अनचाहे, धार्मिक संस्थाओं को शुद्ध सांसारिक ओर प्रकट रूप से असंबद्ध आविष्कारों के दर-व्यापी परिव्तनों को स्वीकार करने ओर उनसे छाम उठाने के किए बाध्य होना पड़ा है । हठीले धर्मों के प्रकार अब धर्म के कम आधुनिक बने रूप पर विचार करते हुए हम उन




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